तुलबुल प्रोजेक्ट क्या है, जिस पर भिड़े महबूबा-उमर, भारत के लिए क्यों है अहम, पाकिस्तान की कैसे अटकी है जान?

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अचानक से एक बार फिर तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को लेकर गरमाहट आ गई है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बीच इस मुद्दे पर बुधवार को खूब जुबानी जंग देखी गई. दोनों के बीच यह लड़ाई तब शुरू हुई, जब उमर अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि (IWT) के सस्पेंड रहने के मद्देनजर वुलर झील पर तुलबुल प्रोजेक्ट पर दोबारा काम शुरू करने की बात कही. हालांकि महबूबा को यह बात नागवार गुजरी और उन्होंने उमर के बयान को ‘गैर-जिम्मेदाराना’ और ‘खतरनाक रूप से भड़काऊ’ बतायाउधर सीएम मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि वह इस बात को स्वीकार करने से इनकार कर रही हैं कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ ‘ऐतिहासिक विश्वासघात’ है, क्योंकि वह ‘ओछे’ प्रचार और सीमा पार के कुछ लोगों को खुश करने की ‘अंध लालसा’ में डूबी हुई हैं.तुलबुल प्रोजेक्ट को लेकर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बीच इस जुबानी जंग से इतर देखें तो विशेषज्ञों की राय में यह प्रोजेक्ट भारत के लंबे समय के हितों के नजरिये से फायदेमंद होगा. तुलबुल परियोजना को न सिर्फ कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक विकास से जोड़ा जा रहा है, बल्कि यह अब भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं में भी अहम स्थान रखती है — खासकर तब, जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि (IWT) को सस्पेंड कर दिया है.

.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!