जब अंग्रेजी शराब सस्ती हो जाएगी तो कौन खरीदेगा देसी दारू, इंडस्ट्री को नुकसान का डर, महंगी पड़ेगी ये डील

नई दिल्ली. शराब बनाने वाली कंपनियों की टॉप बॉडी CIABC ने कहा कि भविष्य में होने वाले व्यापार समझौतों में आयात शुल्क में कटौती से शराब बनाने वाली घरेलू कंपनियों को नुकसान हो सकता है. इसका कारण यूरोपीय यूनियन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयात होने वाली शराब पर रियायती शुल्क से भारतीय बाजार में इनकी आपूर्ति बढ़ सकती है. कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज ने सरकार को कम लागत और कम गुणवत्ता वाली बोतलबंद ‘स्पिरिट’, थोक एवं बोतलबंद शराब के आयात को रोकने के लिए न्यूनतम आयात मूल्य व्यवस्था लागू करने का भी सुझाव दिया.संगठन ने कहा कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत स्कॉच व्हिस्की पर शुल्क में कटौती से घरेलू प्रीमियम श्रेणी के व्हिस्की ब्रांड पर असर पड़ सकता है, क्योंकि इससे कम कीमत वाली स्कॉच व्हिस्की का आयात बढ़ने के आसार हैं. भारत समझौते के तहत ब्रिटेन की व्हिस्की और जिन पर शुल्क को 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत करेगा तथा समझौते के 10वें वर्ष में इसे और घटाकर 40 प्रतिशत कर देगा.

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