Study In Canada : कनाडा के चुनाव में मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने जीत हासिल कर ली है. जिसके बाद कार्नी का दोबारा प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा है. कनाडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (CBC) के अनुसार, लिबरल पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है. कनाडा में चुनाव के नतीजों का इंतजार कनाडा के लोग ही नहीं, वहां पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को भी इंतजार था.पिछली सरकार की कड़ी इमीग्रेशन नीतियों और भारत-कनाडा के बीच पैदा हुए तनाव की वजह से वहां पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है. इसके अलावा कनाडा में रहने के लिए घरों की कमी जैसी समस्याओं ने भी भारतीय छात्रों को परेशान किया है. ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन के डेटा के अनुसार, पिछले एक साल में कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 164,370 की गिरावट आई है. जिसमें कनाडा में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में सबसे अधिक 41% की गिराट दर्ज की गई. यहां साल 2023 में 233,532 भारतीय छात्र पढ़ रहे थे, जिनकी संख्या 2024 में घटकर 137,608 रह गई.कनाडा के दोबारा प्रधानमंत्री बनने जा रहे मार्क कार्नी का सेंचुरी इनीशिएटिव नाम के थिंक टैंक के साथ गहरा संबंध है. यह थिंक टैंक चाहता है कि साल 2100 तक कनाडा की जनसंख्या 100 मिलियन तक पहुंच जाए. उनके पूर्वर्ती जस्टिन ट्रूडो की इमीग्रेशन पॉलिसी को भी काफी हद तक सेंचुरी इनीशिएटिव ने ही आकार दिया था. हालांकि कार्नी ने अभी तक स्पष्ट नहीं कहा है कि वह आप्रवासियों की संख्या को कम करेंगे. उनकी इमीग्रेशन पॉलिसी का सबसे चर्चित पहलू यह है कि आप्रवासियों की संख्या को तब तक सीमित करने की जरूरत है, जब तक वह महामारी के पहले वाली स्थिति पर न पहुंच जाए.विदेशी कामगारों पर कार्नी का रुखकार्नी कनाडा में अस्थायी विदेशी श्रमिकों (TFW) की संख्या कम करने के बारे में मुखर रहे हैं. उनका मानना रहा है कि कोविड महामारी के चलते श्रमिकों की कमी की वजह से TFW पर निर्भरता बढ़ गई है. जिसके बाद से अस्थायी विदेशी कामगारों के आने पर सिस्टम का नियंत्रण खत्म हो गया है.