Pakistan Economy : 100 रुपए कमाई पर 50 ब्याज में खर्च, रीढ़ टूटी है लेकिन भारत से जंग लड़ने की रट लगा रहा पाकिस्तान

India-Pakistan Conflict : फवाद चौधरी का बयान आपने देखा होगा. भारत के खिलाफ परमाणु जंग की गीदड़भभकी दे रहे हैं. पीएम शाहबाज शरीफ के तो अस्पताल में भर्ती होने की खबर है लेकिन डिप्टी पीएम इशाक डार गौरी, शाहीद मिसाइलों का जिक्र कर रहे हैं. दरअसल पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान डरा हुआ है. पीएम नरेंद्र मोदी ने गुनहगारों और पनाहगारों दोनों को कल्पना से परे सजा देने के ऐलान के बाद पाकिस्तान आर्मी चीफ आसिम मुनीर की सारी थियरी फेल हो गई है. ख्वाजा आसिफ तो 30 साल से आतंकवाद के पालन पोषण की बात स्वीकार कर चुके हैं. उसके लिए यूएन में भारत ने घेर भी लिया है. आतंक को सरकार प्रायोजित करने वाली पाकिस्तान सरकार अपनी माली हालत देखे बिना ताव दिखा रही है. जरा सोचिए, अगर आपकी कमाई 100 रुपए हो और 50 रुपए पहले ले लिए लोन का ब्याज चुकाने में खर्च हो जाए तो क्या होगा? यही हाल पाकिस्तान का है. रीढ़ की हड्डी टूटी है लेकिन जंग की रट लगाने में कसर नहीं.शाहबाज शरीफ को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मदद की आस है. 9 मई 2025 को आईएमएफ बोर्ड की बैठक होगी जिसमें 1.3 बिलियन डॉलर के लोन और 7 बिलियन डॉलर के मौजूदा पैकेज की समीक्षा होगी. अगर आईएमएफ की शर्तों पर पाकिस्तान खरा नहीं उतरा तो लोन कैंसिल.IMF का सहाराआईएमएफ से पाकिस्तान को 7 बिलियन डॉलर का पैकेज पिछले साल मिला था जिसका मकसद पेमेंट संकट को हल करना और बाजार में भरोसा बहाल करना था. हाल की सहमति से 1 बिलियन डॉलर और मिलेगा जिससे कुल लोन 2 बिलियन डॉलर हो जाएंगे. 1.3 बिलियन डॉलर का नया लोन जलवायु संकट से निपटने के नाम पर है जंग लड़ने के लिए नहीं.अर्थव्यवस्था की ग्रोथ का अनुमान कम है. आईएमएफ ने 2025 के लिए 2.6% ग्रोथ का अनुमान लगाया है जबकि एशियाई विकास बैंक ने 2.5% का अनुमान दिया है. इस हाल में वह दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली इकॉनमी यानी भारत से भिड़ा तो देश में भुखमरी तय है.कर्ज का बोझपाकिस्तान का कर्ज-जीडीपी अनुपात 70% है. सरकार का 40-50% राजस्व ब्याज पर खर्च होता है जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के लिए पैसा नहीं बचता. ये क्षेत्र पहले से कमजोर हैं. आईएमएफ ने कर-जीडीपी अनुपात बढ़ाने और बिजली सब्सिडी कम करने को कहा है. वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब कहते हैं कि कर-जीडीपी 10.8% हो गया है जबकि लक्ष्य 10.6% था लेकिन यह सुधार असमान है. किसानों और सैलरीड लोगों पर बोझ है, अमीर लोग बच जाते हैं. यह असमानता बढ़ाती है.संरचनात्मक सुधार धीमे हैं. ऊर्जा क्षेत्र में नुकसान है और भ्रष्टाचार की समस्या है. आईएमएफ ने इसे नोट किया है. सरकार 1.3 ट्रिलियन रुपये के कर लक्ष्य से चूक गई और 600 बिलियन रुपये का घाटा हुआ. ये कमजोरियों को दिखाता है. 1958 से 24वां आईएमएफ पैकेज है लेकिन जड़ समस्याएं हल नहीं हो रही हैं.बाहरी और अंदरूनी चुनौतियांदुनिया की आर्थिक स्थिति मुश्किल है. भारत से तनाव है. अमेरिका के ट्रंप के शासन में टैरिफ का खतरा है जो बाजार को हिला रहा है. आईएमएफ ने चेतावनी दी है कि कमोडिटी की कीमतें बढ़ सकती हैं और वित्तीय हालात कठिन हो सकते हैं. अंदरूनी राजनीति अस्थिर है और सेना को खुश रखना शाहबाज शरीफ के लिए ज्यादा जरूरी है. लिहाजा इकॉनमी पर खाक नजर होगी. अर्थव्यवस्था अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही. सुधारों के बिना हालात बिगड़ेंगे और लोग इसकी कीमत चुकाएंगे.

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