बहुत बुरा फंसेगा पाकिस्तान, सीपीईसी से मदद का एक तांगा भी नहीं भेजेंगे जिनपिंग, चीन के लिए भारत से दोस्ती क्यों हैं जरूरी

पहलगाम हमले के बाद भारत ने थोड़ी नजर टेढ़ी की, तो पाक‍िस्‍तान की सांसें फूल गई हैं. अब उसे सिर्फ चीन से आस है. यही वजह है क‍ि पाक‍िस्‍तानी डिप्‍टी प्राइम मिन‍िस्‍टर और विदेश मंत्री इशाक डार ने तुरंत चीन के विदेश मंत्री वांग यी को फोन लगा द‍िया. उनसे मदद मांगी है. लेकिन अब तक चीन की ओर से कोई जवाब उन्‍हें नहीं मिला है. इसी बीच चीन के भारतीय दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने कैलास मानसरोवर यात्रा की तस्वीर साझा करते हुए कहा, ‘कैलास मानसरोवर भारत और चीन को जोड़ता है. इस छोटे से बयान के जरिए चीन ने एक बड़ा संदेश दिया है. भारत के साथ दोस्ती चीन के लिए अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बन गई है. साफ है क‍ि चीन पाक‍िस्‍तान की मदद के ल‍िए एक तांगा भी नहीं भेजने वाला. आइए जानते हैं क‍ि चीन के ल‍िए भारत की दोस्‍ती क्‍यों जरूरी है?एक वक्‍त था जब चीन, पाकिस्तान को अपना ‘आयरन ब्रदर’ कहता था. दोनों देशों ने मिलकर CPEC (चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉर‍िडोर) जैसे विशाल प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. पाकिस्तान की लगातार बिगड़ती आर्थिक स्थिति, बढ़ती आतंकी गतिविधियां और राजनीतिक अस्थिरता ने चीन को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. आज CPEC प्रोजेक्ट में भी चीन का जोश ठंडा पड़ चुका है. जिनपिंग प्रशासन अब पाकिस्तान को आर्थिक या रणनीतिक मदद भेजने में पहले जैसी दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. साफ है कि आने वाले समय में पाकिस्तान से दूरी बनाना चीन की मजबूरी होगी.भारत से दोस्ती क्यों है जरूरी?1. भारत आज न केवल एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है, बल्कि जियोपॉल‍िट‍िकल सिनार‍ियो में भी भारत का कद लगातार बढ़ रहा है. अमेरिका, यूरोप, जापान जैसे देशों के साथ भारत के मजबूत संबंध बन रहे हैं. चीन जानता है कि अगर उसे भविष्य में दुन‍िया में अपनी पकड़ बनाए रखनी है तो भारत को नजरअंदाज करना आत्मघाती साबित हो सकता है.2. भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा कंज्‍यूमर मार्केट है. चीन की कंपनियां भारतीय बाजार में पहले से ही गहरी पैठ बनाना चाहती हैं. अगर रिश्ते बेहतर होते हैं, तो व्यापार का रास्ता और खुल सकता है. चीन भारत से इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाओं के कच्चे माल, और सौर ऊर्जा उपकरणों का आयात करता है, जबकि भारत चीन को खनिज ईंधन और कपास जैसे उत्पाद निर्यात करता है.3. अमेरिका द्वारा बनाए जा रहे ‘क्वाड’ जैसे प्‍लेटफार्म भारत को पश्चिमी देशों की ओर खींच रहे हैं. चीन चाहता है कि भारत पूरी तरह से अमेरिका के पाले में न चला जाए. इसल‍िए वह क‍िसी भी सूरत में भारत को नाराज नहीं करना चाहता. भले ही पाक‍िस्‍तान के साथ उसकी क‍ितनी ही गहरी पैठ हो. भारत का जापान, वियतनाम, और अमेरिका जैसे देशों के साथ मजबूत गठजोड़ चीन के लिए चिंता का विषय हो सकता है, इसल‍िए भी चीन भारत के साथ दोस्‍ती चाहता है.4.साउथ एश‍िया में शांति चीन के इकोनॉमिक प्रोजेक्ट्स के लिए जरूरी है. अगर भारत के साथ तनाव बढ़ता है, तो न केवल बॉर्डर पर समस्या होगी, बल्कि चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जैसे सपनों को भी झटका लगेगा. दुनिया में चीन की छवि हाल के वर्षों में आक्रामक देश की बन गई है. भारत जैसे बड़े और लोकतांत्रिक देश के साथ दोस्ती करके चीन अपनी छवि को ठीक करना चाहता है.

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