हिट-एंड-रन… आतंक‍ियों ने बदली स्‍ट्रैटजी, तैयारी के साथ आते हैं, अटैक करते हैं और भाग जाते हैं, पहलगाम में भी ऐसे ही आए

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हमला करने वाले आतंकी बदली स्‍ट्रैटजी के साथ आए थे. पहले लोकल आतंकी होते थे. लंबे समय तक सिक्‍योरिटी फोर्सेस के साथ एनकाउंटर में उलझते थे. इससे उनकी पहचान और ठिकानों का पता लगाना आसान हो जाता था. हमले के दौरान ज्‍यादातर वक्‍त वे मारे जाते थे. लेकिन अब आतंकी पूरी तैयारी के साथ आते हैं, सीधा टारगेटेड अटैक करते हैं और तुरंत जंगल में भाग जाती है. आतंक‍ियों की हिट-एंड-रन स्ट्रैटजी ने इंडियन आर्मी और सिक्‍योरिटी फोर्सेस के ल‍िए नई मुश्क‍िल खड़ी कर दी है.इस बार भी आतंकी पूरी तैयारी के साथ आए. सुरक्षा सुत्रों के मुताबिक, आतंक‍ियों ने हमले से पहले बैसारन मीडोज इलाके की रेकी की. उन्‍हें पता था क‍ि यह एक पॉपुलर डेस्‍ट‍िनेशन है, जहां भारी संख्‍या में टूर‍िस्‍ट आकर रुकते हैं. आतंकियों ने इसी मौके का फायदा उठाया. AK-47 राइफलों से अंधाधुंध गोलीबारी की. कहा जा रहा है क‍ि हमले में चार आतंकी शामिल थे. दो पश्तून भाषा बोल रहे थे, जो पाक‍िस्‍तान के खास इलाके में बोली जाती है. हमले के तुरंत बाद आतंकी पास के जंगलों में भाग गए. पहलगाम के ऊपरी इलाकों में घने जंगल और पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से आतंकियों को छुपने में मदद मिली.क्यों बदली रणनीति?पिछले कुछ वर्षों से स‍िक्‍योरिटी फोर्स आतंक‍ियों के खात्‍मे के ल‍िए ऑपरेशन ऑलआउट चला रही है. 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकी संगठनों पर दबाव बढ़ा. एनआईए और सेना की कार्रवाइयों ने उनके नेटवर्क को ध्‍वस्‍त कर द‍िया, इसके बाद आतंकियों ने अपनी रणनीति बदली.दूसरी वजह, सिक्‍योरिटी फोर्स के एक्‍शन से लोकल युवा उनके साथ नहीं जा रहे हैं. तीन वर्षों से श्रीनगर में आतंकी रैंकों में कोई स्थानीय युवा भर्ती नहीं हुआ. यह इस बात का सबूत है कि आतंकियों का लोकल सपोर्ट कम हुआ है. इसल‍िए वे हिट-एंड-रन का सहारा ले रहे हैं.पहलगाम जैसे इलाकों में घने जंगल और पहाड़ आतंकियों को छुपने के लिए सही ठ‍िकाना बनते हैं. हमले के बाद आतंकी जंगलों में गायब हो गए, जिससे सिक्‍योरिटी फोर्स के लिए उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो गया.इस बार आतंकियों ने छोटे समूह में हमला किया, जिससे उनकी एक्‍ट‍िव‍िटी गुप्त रहीं. बड़ी टीम में काम करने से उनकी योजना लीक होने का खतरा होता है, लेकिन छोटे ग्रुप में वे तेजी से और गुप्त रूप से हमला कर सकते हैं।सूत्रों के अनुसार, आतंकियों ने हमले से पहले ड्रोन और सैटेलाइट मैप्स का इस्तेमाल करके इलाके की रेकी की. इससे उन्हें इलाके की सटीक जानकारी मिली और वे भागने के रास्ते पहले से तय कर चुके थे.

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