Explainer: कश्मीर बांटने के सपने देखने वालों का अंत! पीएम मोदी-शाह की जोड़ी का नया कमाल

20Explainer: कश्मीर बांटने के सपने देखने वालों का अंत! पीएम मोदी-शाह की जोड़ी का नया कमालWritten by:Gyanendra MishraLast Updated:March 27, 2025, 16:19 ISTगृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि जेएंडके तहरीकी इस्तेकलाल और जेएंडके तहरीक-ए-इस्तिकामत ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से नाता तोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं. 2015 से 2024 तक 1,607 आतंकी मारे गए.Follow us on Google NewsAdvertisementकश्मीर बांटने के सपने देखने वालों का अंत! पीएम मोदी-शाह की जोड़ी का नया कमालप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की नीत‍ियों की वजह से कश्मीर में शांत‍ि. (Photo_PTI)हाइलाइट्सजेएंडके तहरीकी इस्तेकलाल और तहरीक-ए-इस्तिकामत ने हुर्रियत से नाता तोड़ा.2015 से 2024 तक जम्‍मू कश्मीर में,607 आतंकवादी मारे गए.गृहमंत्री अमित शाह ने इसे “कश्मीर में शांति की नई सुबह” कहा.भारत का मस्‍तक काटने, कश्मीर को भारत से अलग करने के सपने देखने वालों का लगभग अंत हो गया है. खुद गृहमंत्री अमित शाह ने इसका ऐलान क‍िया है. गुरुवार को शाह ने बताया क‍ि जेएंडके तहरीकी इस्तेकलाल और जेएंडके तहरीक-ए-इस्तिकामत जैसे संगठनों ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से नाता तोड़ ल‍िया है. वे मुख्‍यधारा में शामिल हो गए हैं. यह वही हुर्रियत है जो कश्मीर को भारत से अलग करने की बात करता था. अलगाववाद की बात करता था. लेकिन अब न तो उनके पास नेता बचे हैं और ना ही संगठन. लेकिन यह पहला मामला नहीं है. बीते 10 सालों में सरकार ने न सिर्फ आतंक‍ियों का सफाया क‍िया है, बल्‍क‍ि कई संगठनों को भी हथ‍ियार छोड़ने के ल‍िए मजबूर क‍िया है. आइए, उन संगठनों के बारे में जानें जिन्होंने आतंक का साथ छोड़ा और त‍िरंगा हाथ में उठा ल‍िया.1. जेएंडके तहरीकी इस्तेकलाल और जेएंडके तहरीक-ए-इस्तिकामतहुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दो प्रमुख संगठनों, जेएंडके तहरीकी इस्तेकलाल और जेएंडके तहरीक-ए-इस्तिकामत ने मार्च 2025 में अलगाववाद और हिंसा का रास्ता छोड़ने का ऐलान किया. इन संगठनों ने हुर्रियत से अलग होने का फैसला करते हुए कहा कि वे अब भारत की एकता और अखंडता के साथ खड़े हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने इसे “कश्मीर में शांति की नई सुबह” करार दिया.2. जमात-ए-इस्लामीजमात-ए-इस्लामी, जो कभी कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा और आतंक को समर्थन देने के लिए जाना जाता था, पर फरवरी 2019 में केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया. इसके बाद संगठन के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हिंसा का रास्ता छोड़कर शांतिपूर्ण तरीके से मुख्यधारा में शामिल होने की कोशिश की. हालांकि यह पूरी तरह से संगठन का फैसला नहीं था, लेकिन इसके कई सदस्यों ने 2019 से 2020 के बीच आतंक से दूरी बनाई. ज्‍यादातर कार्यकर्ता हथ‍ियार छोड़ चुके हैं.3. जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंटजम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) 1980 और 1990 के दशक में आतंक और अलगाववाद का पर्याय था. इसके एक धड़े ने 1994 में हिंसा का रास्ता छोड़ दिया था. यासीन मलिक के नेतृत्व में यह संगठन आंदोलन करने लगा. हालांकि, बाद में मलिक पर फिर से आतंक से जुड़े आरोप लगे, लेकिन इस फैसले ने कई युवाओं को हिंसा छोड़ने के लिए प्रेरित किया. अब मल‍िक के जेल में बंद होने से यह संगठन पूरी तरह खत्‍म हो चुका है.4. हिजबुल मुजाहिदीनहिजबुल मुजाहिदीन कश्मीर में सबसे बड़े आतंकी संगठनों में से एक रहा है. इसके कई सदस्यों ने 2020 और 2021 में हथियार डालकर आतंक का रास्ता छोड़ दिया. यह संगठन भले ही पूरी तरह से अलगाववाद छोड़ने को तैयार न हो, लेकिन सुरक्षाबलों की सख्ती और आत्मसमर्पण नीति के तहत इसके दर्जनों सदस्यों ने मुख्यधारा में वापसी की. खास तौर पर जुलाई 2020 में शुरू हुई आत्मसमर्पण की लहर में 50 से अधिक आतंकियों ने हथियार डाले.आतंक‍ियों का सफायागृह मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो ऑपरेशन ऑल आउट के तहत 2015 से 2024 तक लगभग 1,607 आतंकी मारे जा चुके हैं. सबसे ज्‍यादा 221 आतंकी 2020 में मारे गए, तब आतंक‍ियों को तलाश कर सेना मौत के घाट उतार रही थी. 2024 में भी 75 आतंक‍ी मारे गए थे. हालांकि, पहले जहां हर साल 150 से ज्‍यादा आतंकी मारे जाते थे, वो अब कम हो गए हैं. क्‍योंक‍ि घाटी में आतंक‍ियों की संख्‍या में कमी आई है. युवा हथ‍ियार नहीं उठाना चाहते हैं. एलओसी पर इतनी सख्‍ती है क‍ि पाक‍िस्‍तान आतंकी भेज नहीं पा रहा है.घटती जा रही आतंक‍ियों की ल‍िस्‍ट2015: 108 आतंकी मारे गए2016: 150 आतंक‍ियों का खात्‍मा2017: 213 आतंक‍ियों का काम तमाम2018: 257 आतंकी जहन्‍नुम पहुंचाए गए2019: 154 आतंक‍ियों को मारा2020: 221 आतंकी मारे गए2021: 182 आतंकी मारे गए2022: 172 आतंकी मारे गए2023: 75 आतंकी मारे गए2024: लगभग 75 आतंकी मारे गए.बदलाव की वजहेंबदलाव के पीछे केंद्र सरकार की सख्त नीतियां, अनुच्छेद 370 हटने के बाद बदला माहौल, और स्थानीय लोगों का हिंसा से ऊबना प्रमुख कारण हैं. साथ ही, विकास परियोजनाओं और रोजगार के अवसरों ने युवाओं को नई राह दिखाई है. अमित शाह ने कहा, जो संगठन कभी भारत के खिलाफ साजिश रचते थे, वे अब समझ गए हैं कि हिंसा से कुछ हासिल नहीं होगा. हालांक‍ि,कुछ संगठन और उनके नेता अब भी अलगाववादी विचारधारा को छोड़ने को तैयार नहीं हैं. लेकिन उनका भी अंत निकट है.

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