दुनिया में किस धर्म के साधु जीते हैं सबसे कठिन जीवन- जैन साधु या ग्रीस के एथोस ईसाई भिक्षु

साधु बनने का मतलब है जीवन में सभी सुख सुविधाओं को छोड़कर ईश्वर की भक्ति में लग जाना. दुनिया के सभी धर्मों में आध्यात्म पथ पर जाकर साधु बनने की परंपरा रही है. चाहे वो हिंदू धर्म हो या बौद्ध या फिर ईसाई या जैन. सभी धर्मों में साधु या भिक्षु बन गए लोग सादा और कड़ा जीवन जीते हैं, इस तरह से खुद को ईश्वर के साथ जोड़ते हैं. समय के साथ इस परंपरा में बदलाव हुआ है. अब कई धर्मों के साधु संन्यासी आराम और लग्जरी का जीवन जीने लगे हैं लेकिन कई धर्म अब भी ऐसे हैं, जिसके भिक्ष और भिक्षुणियां बहुत कड़ा जीवन जीते हैं. लग्जरी या आराम को अपने पास भी नहीं फटकने देतेआइए जानते हैं कि किस धर्म के साधु या भिक्षु या मोंक कैसा जीवन जीते हैं. उनमें किसका जीवन आज भी बहुत कड़ा और सादगी भरा है. कुछ धर्मों और देशों के साधुओं का जीवन उनकी कठोर तपस्या, त्याग और जीवनशैली के कारण विशेष रूप से कठिन माना जाता है.1. जैन धर्म (भारत) – दिगंबर साधु, सबसे कठिन जीवन जीने वालेजैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के साधु दुनिया में सबसे कठिन जीवन जीने वालों में एक माने जाते हैं. वे पूरी तरह नग्न रहते हैं, किसी भी तरह के वस्त्र का प्रयोग नहीं करते, चाहे मौसम कोई भी हो. भोजन के लिए वे केवल दान पर निर्भर करते हैं. वह भी सिर्फ एक बार ही दिन में भोजन ग्रहण करते हैं, वो भी हाथों से खाते हैं. बर्तन का प्रयोग तक नहीं करते.हमेशा पैदल यात्रावे किसी स्थायी आवास में नहीं रहते, हमेशा पैदल यात्रा करते हैं, संपत्ति का कोई रूप नहीं रखते. अहिंसा के सिद्धांत के कारण वे सूक्ष्म जीवों को नुकसान न पहुंचाने के लिए बहुत सावधानी रखते हैं. वो जमीन पर ही आमतौर पर सोते हैं. सोने के लिए कभी गद्दे और तकिया का इस्तेमाल नहीं करते.बहुत कम सोते हैंजैन धर्म में नींद को “प्रमाद” (आलस्य) का एक रूप माना जाता है. जैन साधु इसे कम करने की कोशिश करते हैं ताकि वे ध्यान, अध्ययन और आत्म-चिंतन में अधिक समय बिता सकें. अक्सर वो पूरे दिन में 4 से 6 घंटे से ज्यादा नींद नहीं लेते. कुछ अति तपस्वी साधु इससे भी कम 2-3 घंटे ही सो सकते हैं. जैन परंपरा में “कायोत्सर्ग” (लंबे समय तक एक मुद्रा में खड़े रहकर ध्यान करना) जैसी प्रथाएं भी नींद को प्रभावित करती हैं.हैं.Maha Kumbh 2025 Naga Sadhu20कब बना पानी, महाविस्फोट के बाद कितने साल लगे? वैज्ञानिक के खुलासे से दुनिया में नई हलचलWritten by:Sumit KumarAgency:एजेंसियांLast Updated:March 21, 2025, 18:40 ISTScience News in Hindi: वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि महा विस्फोट के 10-20 करोड़ साल बाद पानी का निर्माण हुआ होगा. शोध में सुपरनोवा के मॉडल का उपयोग कर ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के मिश्रण से पानी बनने की …और पढ़ेंFollow us on Google NewsAdvertisementकब बना पानी, महाविस्फोट के बाद कितने साल लगे? वैज्ञानिक के खुलासे से नई हलचलरिसर्च में खुलासा किया गया कि महा विस्फोट के 10 से 20 करोड़ साल बाद पानी का निर्माण हुआ होगा. (फोटो Unsplash)हाइलाइट्समहा विस्फोट के 10-20 करोड़ साल बाद बना पानी.सुपरनोवा मॉडल से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के मिश्रण से बना पानी.शोध नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित हुआ.Science News in Hindi: ब्रह्मांड रहस्यों से भरा है. विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के मन में ब्रह्मांड को लेकर कई सवाल होते हैं. एक सवाल यह भी आता है कि पानी कब बना. इस सवाल का जवाब वैज्ञानिक भी ढूंढ़ रहे हैं. वैज्ञानिक सालों से इस बात की खोज में लगे हैं कि सबसे पहले पानी का निर्माण कैसे और कब हुआ?जैसा कि हम सब जानते हैं कि पानी जीवन की ब्रह्मांडीय उत्पत्ति के लिए अहम माना जाता है. हाल के मॉडलों ने दिखाया है कि पानी धातुओं के मिश्रण से बनी गैसों से बना हो सकता है. अब इसे लेकर एक रिसर्च में बड़ा खुलासा किया गया है.पढ़ें- बिग बैंग के बारे में तो सुना होगा, अब पढ़िए बिग व्हील के बारे में, वैज्ञानिकों की खोज से दुनिया में तहलकासंबंधित खबरेंमिल गया नरक का दरवाजा! इसी में समाएगी पूरी दुनिया? सबूत से NASA भी थर्रायामिल गया नरक का दरवाजा! इसी में समाएगी पूरी दुनिया? सबूत से NASA भी थर्रायाजब पिघल जाएगी बर्फ, तब ऐसा दिखेगा 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पाया कि पहले और दूसरे सिमुलेशन में क्रमशः 0.051 और 55 सौर द्रव्यमान (जहां एक सौर द्रव्यमान हमारे सूर्य का द्रव्यमान है) ऑक्सीजन का निर्माण हुआ, जो बहुत अधिक तापमान और घनत्व तक पहुंचने के कारण हुआ.कब बना पानी?शोध में आगे कहा गया कि जब यह गैसीय ऑक्सीजन ठंडी हुई और सुपरनोवा द्वारा छोड़े गए आस-पास के हाइड्रोजन के साथ मिली, तो पदार्थ के बचे हुए घने गुच्छों में पानी का निर्माण हुआ. ये गुच्छे हो सकता है दूसरी पीढ़ी के तारों और ग्रहों के निर्माण के स्थल थे. रिसर्च में कहा गया है कि यदि पानी प्रथम आकाशगंगाओं के निर्माण के दौरान बच गया, जो कि एक संभावित विनाशकारी प्रक्रिया है, तो यह अरबों साल पहले ग्रहों के निर्माण में भी शामिल हो सकता था.टॉप वीडियोसभी देखेंtags :Big bangScience newsLocation :All IndiaFirst Published :March 21, 2025, 18:40 ISThomeknowledgeकब बना पानी, महाविस्फोट के बाद कितने साल लगे? वैज्ञानिक के खुलासे से नई हलचलnext articleप्रधानमंत्री आवास पाने का शानदार मौका! 31 मार्च से पहले कराएं नाम दर्ज, जानें पूरी प्रक्रियाReported by:Pintu AwasthiEdited by:Anand MohanAgency:News18 Madhya PradeshLast Updated:March 21, 2025, 18:36 ISTअगर आपका पक्का घर नहीं है, तो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर पाने का सुनहरा मौका है. 31 मार्च तक प्रधानमंत्री आवास प्लस सर्वे में नाम जुड़वा सकते हैं. पात्रता में आय प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और भूमि …और पढ़ेंFollow us on Google Newsहाइलाइट्सप्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर पाने का सुनहरा मौका है.31 मार्च तक प्रधानमंत्री आवास प्लस सर्वे में नाम जुड़वा सकते हैं.आवेदन मोबाइल ऐप के जरिए भी किया जा सकता है.अगर आपके पास अभी तक पक्का घर नहीं है और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत घर नहीं मिला है, तो चिंता करने की जरूरत नहीं है. सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के द्वितीय चरण के लिए सर्वे शुरू कर दिया है, जिसके तहत पात्र परिवारों को 31 मार्च 2024 तक स्थायी प्रतीक्षा सूची में जोड़ा जाएगा. इस योजना को 2024-25 से 2028-29 तक के लिए मंजूरी मिल चुकी है, जिससे हजारों लोगों को लाभ मिलेगा.कैसे हो रहा है सर्वे?गांवों में यह सर्वे ग्राम पंचायत के सचिव या रोजगार सहायक द्वारा किया जा रहा है. सर्वे की पूरी प्रक्रिया आवास प्लस एप-2024 के जरिए ऑनलाइन की जा रही है. खास बात यह है कि कोई भी पात्र व्यक्ति अपने मोबाइल से भी आवेदन कर सकता है. इसके लिए सरकार ने आवास प्लस 2.0 नाम से मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च किया है, जिसकी लिंक आवास सॉफ्ट पोर्टल (https://pmayg.nic.in/infoapp.html) पर उपलब्ध है.कौन हैं पात्र?छतरपुर जिले के गौरिहार जनपद के अंतर्गत आने वाले गहबरा गांव के सचिव परशुराम अहिरवार के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास प्लस सर्वे के फार्म भरने शुरू हैं. जिसकी अंतिम तारीख़ 31 मार्च है.संबंधित खबरें13 साल की लड़की ने हरभजन सिंह को दिया दिल छूने वाला तोहफा, देखते ही कहा….13 साल की लड़की ने हरभजन सिंह को दिया दिल छूने वाला तोहफा, देखते ही कहा….गर्मी में चाहिए ताजगी? गोरखपुर की ये 5 लस्सी की दुकानें मूड फ्रेश कर देंगी….गर्मी में चाहिए ताजगी? गोरखपुर की ये 5 लस्सी की दुकानें मूड फ्रेश कर देंगी….मच्छरों से निपटने के लिए जीएचएमसी ने फॉगिंग को किया डिजिटलमच्छरों से निपटने के लिए जीएचएमसी ने फॉगिंग को किया डिजिटलIIT-ISM: एमटेक में नामांकन प्रक्रिया शुरू, जानें आवेदन की अंतीम तिथिIIT-ISM: एमटेक में नामांकन प्रक्रिया शुरू, जानें आवेदन की अंतीम तिथिइतने एकड़ से कम होनी चाहिए भूमिइस बार प्रधानमंत्री आवास प्लस सर्वे में उन लोगों को अपात्र किया गया है जिनके पास एक एकड़ से ज्यादा सिंचित जमीन है. साथ ही 5 एकड़ भूमि से ज्यादा गैर सिंचित जमीन है तो भी वह इस योजना के लिए पात्र नहीं होंगे. पक्के मकान नहीं होने चाहिए और चार पहिया गाड़ी नहीं होनी चाहिए.ऑनलाइन प्रक्रिया से हो रहा काम आसानइस बार सर्वे पूरी तरह से ऑनलाइन किया जा रहा है. सचिव परशुराम बताते हैं कि पिछले डेढ़ महीने से मोबाइल के जरिए ही फार्म भरे जा रहे हैं. उनके गांव में अब तक 300 से ज्यादा लोगों के फॉर्म ऑनलाइन भरे जा चुके हैं.tags :Chhatarpur newsLocal18Mp newsLocation :Chhatarpur,Madhya PradeshFirst Published :March 21, 2025, 18:36 ISThomeknowledgeप्रधानमंत्री आवास पाने का शानदार मौका! 31 मार्च से पहले कराएं नाम दर्ज, जानेंऔर पढ़ेंnext articleExplainer: क्या घर से मोटी नकदी मिलने के बाद हटाया जा सकते हैं हाईकोर्ट के जज, क्या होती है प्रक्रियाAuthor:संजय श्रीवास्तवLast Updated:March 21, 2025, 16:25 ISTदिल्ली हाईकोर्ट एक जज जब होली की छुट्टियों में बाहर थे, तभी उनके सरकारी आवास में घर में आग लग गई. तब पुलिस को उनके घर से काफी मोटी नकदी मिली. इसके बाद उन्हें हटाने की मांग हो रही है.Follow us on Google NewsExplainer: क्या घर से मोटी नकदी मिलने के बाद हटाया जा सकते हैं हाईकोर्ट के जजहाइलाइट्सदिल्ली हाईकोर्ट के जज के घर से भारी नकदी बरामद हुई.जज का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया.जज को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव जरूरी है.दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के बंगले पर भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया है. पिछले दिनों उनके सरकारी आवास में आग लग गई. जब आग बुझाने के दौरान पुलिस को वहां से पैसों का भंडार मिला. तब वह जज अपने आवास में नहीं थे, शहर से बाहर थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का फैसला किया है. जानते हैं अगर किसी जज के घर मोटी मात्रा में कैश या रिश्वत लेने जैसे मामले सामने मिलते हैं तो क्या उन्हें हटाया जा सकता है.दरअसल होली की छुटि्टयों में दिल्ली हाईकोर्ट के ये जस्टिस बाहर थे. इसी दौरान उनके सरकारी बंगले पर आग लग गई थी. फैमिली मेंबर्स ने पुलिस और इमरजेंसी सर्विस को आग की जानकारी दी. जब पुलिस और फायरब्रिगेड की टीम आग बुझा रही थी, तब उसे घर में भारी मात्रा में कैश मिला. मामला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) तक पहुंचा.उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कॉलेजियम की मीटिंग बुलाई. जज का तबादला वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया. अब सवाल ये उठ रहा है कि इस मामले में जज को हटाया क्यों नहीं जा सकता. या ऐसे मामलों में कोई जज कैसे हटाया जा सकता है.संबंधित खबरेंछाती पकड़ना, डोरी तोड़ना रेप नहीं?’ हाईकोर्ट की टिप्पणी पर बवाल, NCW ने जताई कड़ी आपत्तिछाती पकड़ना, डोरी तोड़ना रेप नहीं?’ हाईकोर्ट की टिप्पणी पर बवाल, NCW ने जताई कड़ी आपत्तिHC के जज के घर लगी आग तो खुला राज, करोड़ों के कैश मिले, SC ने लिया बड़ा एक्शनHC के जज के घर लगी आग तो खुला राज, करोड़ों के कैश मिले, SC ने लिया बड़ा एक्शनन CBI न ED, अंधेरे में जज के घर में कैश का राज किसने खोला, जानें होली कनेक्शन?न CBI न ED, अंधेरे में जज के घर में कैश का राज किसने खोला, जानें होली कनेक्शन?बैठी थी अदालत, सब कर रहे थे इंतजार, फिर अचानक क्यों केस सुनने नहीं आए जज वर्माबैठी थी अदालत, सब कर रहे थे इंतजार, फिर अचानक क्यों केस सुनने नहीं आए जज वर्मासवाल – अगर हाईकोर्ट जज के घर से करोड़ों की संपत्ति मिले तो हटाया जा सकता है?– हां, अगर भारत में हाईकोर्ट के किसी जज के घर से करोड़ों की संपत्ति मिलती है. ये साबित हो जाता है कि यह संपत्ति उनकी वैध आय से बहुत अधिक है. भ्रष्टाचार या अवैध तरीकों से अर्जित की गई है, तो उन्हें पद से हटाया जा सकता है. इसके लिए संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है, जैसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217(1)(b) में बताया गया है.सवाल – क्या केवल मोटी संपत्ति मिलने से तुरंत हटा सकते हैं?– केवल संपत्ति मिलने से जज को तुरंत नहीं हटाया जा सकता. यह जांच करनी होगी कि संपत्ति अवैध है या नहीं. अगर यह उनकी घोषित आय (जो जजों को हर साल संपत्ति का ब्योरा देना होता है) से मेल नहीं खाती या इसका कोई वैध स्रोत नहीं है, तो इसे “कदाचार” (misbehaviour) माना जा सकता है.सवाल – तब महाभियोग लाना होता है?– कदाचार के आऱोप में भी जज को हटाने के लिए पहले संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश करना होता है.सवाल – महाभियोग की प्रक्रिया कैसे शुरू होती है?– संसद के किसी एक सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जा सकता है. प्रस्ताव को पेश करने के लिए एक निश्चित संख्या में सांसदों का समर्थन आवश्यक है:लोकसभा: कम से कम 100 सांसदों का समर्थन.राज्यसभा: कम से कम 50 सांसदों का समर्थन.प्रस्ताव को सभापति (राज्यसभा के लिए उपराष्ट्रपति) या स्पीकर (लोकसभा के लिए) के सामने पेश किया जाता है. सभापति या स्पीकर प्रस्ताव की प्रारंभिक जांच के लिए एक जांच समिति का गठन करते हैं. समिति में एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और एक विशिष्ट विधि विशेषज्ञ शामिल होते हैं. समिति जज के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करती है और अपनी रिपोर्ट देती है.सवाल – अगर समिति की रिपोर्ट में आरोप सही पाए गए तो क्या होता है?– तब संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जाता है. प्रस्ताव को पारित करने के लिए सदन के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है. यदि एक सदन में प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो इसे दूसरे सदन में भेजा जाता है. यदि दोनों सदनों द्वारा प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद संबंधित जज को उनके पद से हटा दिया जाता है.सवाल – आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ?– भारत में आज तक किसी हाईकोर्ट जज को महाभियोग के जरिए हटाया नहीं गया. कई बार आरोप लगते हैं, लेकिन प्रक्रिया पूरी होने से पहले जज इस्तीफा दे देते हैं या सबूतों की कमी के कारण मामला आगे नहीं बढ़ता.सवाल – हटाने की प्रक्रिया इतनी कठिन क्यों है?जजों की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए संविधान ने उन्हें हटाने की प्रक्रिया को जानबूझकर कठिन बनाया है. इसलिए, केवल संपत्ति मिलने से कुछ नहीं होगा; इसे भ्रष्टाचार से जोड़ने के लिए ठोस सबूत चाहिए.जस्टिस पी. डी. दिनाकरण (2009 में) पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे. उनके खिलाफ जांच शुरू हुई, लेकिन महाभियोग तक बात नहीं पहुंची और उन्होंने इस्तीफा दे दिया. कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सौमित्र सेन के खिलाफ 2011 में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हुई, फिर उन्होंने इस्तीफा दे दिया.सवाल – जज के पास कैश मिले तो क्या होता है?– सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के मामले की जांच के लिए 1999 में इन हाउस प्रॉसेस बनाई है, जिसके तरह कार्रवाई की जाती है. इसके तहत जजों के खिलाफ गलत काम, अनुचित व्यवहार और भ्रष्टाचार जैसे आरोपों की जांच कर एक्शन लिया जाता है. जिस जज के खिलाफ ऐसे मामले आते हैं, सीजेआई उससे जवाब मांगते हैं. लेकिन हटा नहीं सकते.सवाल – तो क्या इस पर सुप्रीम कोर्ट खुद कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर सकता?– नहीं, क्योंकि हाईकोर्ट किसी भी सूरत में सुप्रीम कोर्ट की मातहत अदालत नहीं होती बल्कि स्वतंत्र होती है. सुप्रीम कोर्ट खुद केवल जांच कर सकता है और महाभियोग चलाने के लिए मामले को संसद भेज सकती है.सवाल – जजों को सार्वजनिक तौर पर किस तरह पेश आना चाहिए?– उन्हें ये समझना चाहिए कि जिस संस्था के साथ वो काम कर रहे हैं, उसकी अपनी गरिमा है. उनके कामों या बयानों से उस संस्था पर ठेस नहीं लगनी चाहिए. – निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए– न्यायाधीशों को निष्पक्ष दिखना चाहिए– न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता की रक्षा करनी चाहिए– न्यायाधीशों को ऐसी सार्वजनिक बहसों में शामिल नहीं होना चाहिए जो न्यायिक प्रणाली में विश्वास को कमजोर कर सकती हों.tags :Allahbad high courtDELHI HIGH COURTHigh Court JudgeLocation :Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar PradeshFirst Published :March 21, 2025, 16:25 ISThomeknowledgeExplainer: क्या घर से मोटी नकदी मिलने के बाद हटाया जा सकते हैं हाईकोर्ट के जजऔर पढ़ेंnext articleदुनिया में किस धर्म के साधु जीते हैं सबसे कठिन जीवन- जैन साधु या ग्रीस के एथोस ईसाई भिक्षुAuthor:संजय श्रीवास्तवLast Updated:March 21, 2025, 15:42 ISTआधुनिक और ऐशोआराम की इस दुनिया अब आध्यात्म और धार्मिक वैराग्य की दुनिया में मन रमाने वाले साधु भिक्षु भी लग्जरी लाइफ जीते दीखते हैं लेकिन कुछ धर्मों में ऐसी साधु परंपरा अब भी है, जो कठिन जीवन जीते हैंFollow us on Google Newsदुनिया में किस धर्म के साधु जीते हैं सबसे कठिन जीवन- जैन या ग्रीस के एथोस साधुहाइलाइट्सजैन धर्म के दिगंबर साधु सबसे कठिन जीवन जीते हैं.नागा साधु नग्न या न्यूनतम वस्त्रों में रहते हैं.माउंट एथोस के साधु महिलाओं से दूर रहते हैं.साधु बनने का मतलब है जीवन में सभी सुख सुविधाओं को छोड़कर ईश्वर की भक्ति में लग जाना. दुनिया के सभी धर्मों में आध्यात्म पथ पर जाकर साधु बनने की परंपरा रही है. चाहे वो हिंदू धर्म हो या बौद्ध या फिर ईसाई या जैन. सभी धर्मों में साधु या भिक्षु बन गए लोग सादा और कड़ा जीवन जीते हैं, इस तरह से खुद को ईश्वर के साथ जोड़ते हैं. समय के साथ इस परंपरा में बदलाव हुआ है. अब कई धर्मों के साधु संन्यासी आराम और लग्जरी का जीवन जीने लगे हैं लेकिन कई धर्म अब भी ऐसे हैं, जिसके भिक्ष और भिक्षुणियां बहुत कड़ा जीवन जीते हैं. लग्जरी या आराम को अपने पास भी नहीं फटकने देतेआइए जानते हैं कि किस धर्म के साधु या भिक्षु या मोंक कैसा जीवन जीते हैं. उनमें किसका जीवन आज भी बहुत कड़ा और सादगी भरा है. कुछ धर्मों और देशों के साधुओं का जीवन उनकी कठोर तपस्या, त्याग और जीवनशैली के कारण विशेष रूप से कठिन माना जाता है.1. जैन धर्म (भारत) – दिगंबर साधु, सबसे कठिन जीवन जीने वालेजैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के साधु दुनिया में सबसे कठिन जीवन जीने वालों में एक माने जाते हैं. वे पूरी तरह नग्न रहते हैं, किसी भी तरह के वस्त्र का प्रयोग नहीं करते, चाहे मौसम कोई भी हो. भोजन के लिए वे केवल दान पर निर्भर करते हैं. वह भी सिर्फ एक बार ही दिन में भोजन ग्रहण करते हैं, वो भी हाथों से खाते हैं. बर्तन का प्रयोग तक नहीं करते.ध्यान में लगे हुए एक जैन दिगंबर साधु (courtesy glory_of_jainism instagram)संबंधित खबरेंLAC पर T-90 टैंक होगा और दमदार, भीष्म की ताकत को दी जा रही है तेज रफ्तारLAC पर T-90 टैंक होगा और दमदार, भीष्म 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नहीं लेते. कुछ अति तपस्वी साधु इससे भी कम 2-3 घंटे ही सो सकते हैं. जैन परंपरा में “कायोत्सर्ग” (लंबे समय तक एक मुद्रा में खड़े रहकर ध्यान करना) जैसी प्रथाएं भी नींद को प्रभावित करती हैं.Maha Kumbh 2025 Naga Sadhuनागा साधु रात के समय जंगलों के रास्तों से सफर करते हैं. वे किसी गांव या शहर में नहीं जाते, बल्कि जंगलों और सुनसान रास्तों पर ठहरते हैं. दिन में विश्राम करते हैं, जिससे कोई उन्हें आते-जाते नहीं देख पाता. भारत के नागा साधु बहुत कठिन जीवन गुजारते हैं. केवल कुंभ में सार्वजनिक तौर पर नजर आते हैं. (news18)हिंदू धर्म (भारत) – नागा साधु, कठोर जीवनशैलीहिंदू धर्म के नागा साधु भी कठोर जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध हैं. वे भी नग्न या न्यूनतम वस्त्रों में रहते हैं और शरीर पर भस्म (राख) लगाते हैं. जंगल, पहाड़ों या गुफाओं में रहते हैं, सामाजिक जीवन से दूर रहते हैं. कठोर तपस्या करते हैं. उन्हें कुंभ मेलों में ही आमतौर पर देखा जाता है. वो खुद को सामान्य जीवन से पूरी तरह अलग रहते हैं. भारत, खासकर हिमालय क्षेत्र, हरिद्वार, प्रयागराज और उज्जैन में इनकी मौजूदगी देखी जा सकती है.3. बौद्ध धर्म (तिब्बत/हिमालय क्षेत्र) – तिब्बती भिक्षु, -20 डिग्री ठंड में रहते हैंतिब्बती बौद्ध भिक्षु, खासकर हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में रहते हैं. कठिन परिस्थितियों में जीवन बिताते हैं.वे ऊंचे पहाड़ों पर मठों में रहते हैं, जहां ऑक्सीजन की कमी और ठंड (-20°C तक) आम बात है. लंबे समय तक एकांतवास में ध्यान करते हैं, कभी-कभी महीनों या सालों तक. सादा भोजन करते हैं. न्यूनतम संसाधनों पर निर्भर रहते हैं. ये आमतौर पर तिब्बत (चीन), नेपाल, भूटान और भारत के लद्दाख , सिक्किम में रहते हैं.ठंड में नग्न शरीर में पैदा करते हैं गर्मीतिब्बती बौद्ध भिक्षु आमतौर पर बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा से संबंधित होते हैं. ये भिक्षु औसतन 4-6 घंटे सोते हैं. कुछ भिक्षु 3 साल, 3 महीने और 3 दिन के एकांतवास में जाते हैं, जहां वे गुफाओं या छोटे कमरों में रहते हैं. इस दौरान वो बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट जाते हैं. वो “तुमो” (Tummo) ध्यान जैसी प्रथाएं करते हैं, जिसमें ठंड में नग्न बैठकर शरीर की गर्मी उत्पन्न करते हैं, ये उनकी शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति को दिखाती हैं. उनके पास निजी संपत्ति नहीं होती – केवल वस्त्र, प्रार्थना माला और कुछ किताबें.तिब्बती बौद्ध भिक्षु आमतौर पर बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा से संबंधित होते हैं. ये भिक्षु औसतन 4-6 घंटे सोते हैं. (image generated bu leonardo ai)4. ईसाई धर्म – माउंट एथोस के साधु (ग्रीस) , जो महिलाओं की ओर देखते भी नहींईसाई धर्म में माउंट एथोस (Mount Athos) के साधु एकांत और कठोर जीवन जीते हैं. यहां केवल पुरुष साधु रहते हैं. महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. वे दिन-रात प्रार्थना में बिताते हैं. बहुत कम नींद लेते हैं (कभी-कभी 3-4 घंटे). वह सादा भोजन करते हैं और शारीरिक श्रम खूब करते हैं. वह ग्रीस में ही रहते हैं.ग्रीस के एथोस पर्वत पर रहते हैंमाउंट एथोस के साधु ईसाई धर्म की ऑर्थोडॉक्स परंपरा से जुड़े हैं. वो ग्रीस के एक प्रायद्वीप पर स्थित माउंट एथोस पर्वत क्षेत्र में रहते हैं. यह स्थान अपनी अनूठी जीवनशैली, कठोर नियमों और आध्यात्मिक समर्पण के लिए प्रसिद्ध है. ये क्षेत्र लगभग 335 वर्ग किलोमीटर में फैला है.माउंट एथोस के साधु ईसाई धर्म की ऑर्थोडॉक्स परंपरा से जुड़े हैं. वो ग्रीस के एक प्रायद्वीप पर स्थित माउंट एथोस पर्वत क्षेत्र में रहते हैं. (image generated by leonardo ai)यहां मादा पशु तक नहीं आ सकतेयह एक स्वायत्त मठवासी समुदाय है, जो 20 बड़े मठों और कई छोटे स्कीट्स (एकांतवास स्थल) से बना है. यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है. यहां केवल पुरुषों को ही आने की अनुमति है. महिलाओं और यहां तक कि मादा पशुओं का प्रवेश भी निषिद्ध है, ताकि साधुओं का ध्यान भंग न हो.लंबी प्रार्थनाएं करते हैंकुछ मठों में साधु दिन में 8-10 घंटे तक प्रार्थना करते हैं, जिसमें रात की लंबी प्रार्थनाएं शामिल हैं. मांस का सेवन नहीं करते. सप्ताह में कई दिन उपवास रखते हैं. खासकर बुधवार और शुक्रवार को, तब वो बहुत कम पानी पीते हैं.10 शताब्दी से ऐसे ही रह रहे हैंये साधु अपने मठों की देखभाल, खेती, लकड़ी काटने और अन्य काम करते हैं. वो संपत्ति और सांसारिक सुखों का पूर्ण त्याग करते हैं. उनके पास केवल आवश्यक कपड़े और प्रार्थना की किताबें होती हैं. माउंट एथोस को “ईसाई धर्म का पवित्र उद्यान” कहा जाता है. यहां 10वीं शताब्दी से साधु रहते आए हैं.

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