फेसबुक, इंस्‍टाग्राम पर होगी इनकम टैक्‍स की नजर, ईमेल और बैंक खाता सब खंगालेगा, क्‍या है तलाश रहा आयकर विभाग

नई दिल्‍ली. इनकम टैक्‍स विभाग आपकी पाई-पाई पर नजर रखने के लिए अब सोशल मीडिया और ईमेल तक पहुंच बनाएगा. विभाग की मंशा हर तरह के निवेश और संपत्ति तक पहुंच बनाने की है. इनकम टैक्‍स बिल 2025 में टैक्‍सपेयर्स तक इस पहुंच को बनाने के लिए अधिकारियों को कई अधिकार दिए गए हैं. विभाग का मानना है कि कई बार करदाता कुछ निवेश या खर्च की जानकारी नहीं देते, जबकि उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर इससे जुड़ी जानकारियां रहती हैं.

दरअसल, आयकर विधेयक, 2025 में एक प्रस्ताव है जो अधिकारियों को ईमेल और व्हाट्सएप चैट जैसी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक पहुंचने की अनुमति देता है. इसका मकसद क्रिप्‍टोकरेंसी में निवेश से जुड़ी जानकारियां जुटाना है. 1961 के आई-टी एक्ट को बदलने वाले बिल में डिजिटल क्षेत्र में मौजूदा तलाशी और जब्ती प्रावधानों का विस्तार किया गया है, जिससे अधिकारियों को यह अधिकार मिलेगा कि वे वर्चुअल संपत्तियों की जांच कर सकें. अगर उन्‍हें लगता है कि करदाता ने टैक्‍सेबल इनकम या निवेश को छुपाया है.क्रिप्‍टो पर वसूलते हैं मोटा टैक्‍सविशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रस्ताव टैक्स चोरों को डिजिटल अर्थव्यवस्था में खामियों का फायदा उठाने से रोकेगा, खासकर जब भारत में क्रिप्टो ट्रेडिंग तेजी से बढ़ रही है. अभी क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाता है, जिसमें 1 फीसदी स्रोत पर कर कटौती (TDS) शामिल है. यही कारण है कि कई निवेशक टैक्‍स बचाने के लिए क्रिप्‍टो में किए गए निवेश की जानकारी विभाग से छुपा जाते हैं.जुटा सकेंगे टैक्‍स चोरी के सबूतप्रस्तावित कानून के तहत, संयुक्त आयुक्त से ऊपर के अधिकारी जरूरत पड़ने पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और डिजिटल प्लेटफार्मों के एक्सेस कंट्रोल को ओवरराइड कर सकते हैं. इसमें क्लाउड स्टोरेज, एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन चैनल और डिजिटल एसेट एक्सचेंज तक पहुंच शामिल है, ताकि टैक्स चोरी के सबूत जुटाए जा सकें. इस कदम से कराधान शक्तियों को तकनीकी प्रगति के साथ जोड़ा जा सकेगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि क्रिप्टोकरेंसी जैसी वर्चुअल डिजिटल संपत्तियां निगरानी से बच न सकें.

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