20’प्लीज मदद कीजिए, वरना वीपी सिंह अपने आदमी को बैठा देगा’, लालू यादव के सीएम बनने की

20’प्लीज मदद कीजिए, वरना वीपी सिंह अपने आदमी को बैठा देगा’, लालू यादव के सीएम बनने की 1990 में लालू यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में रामसुंदर दास को हराकर सत्ता हासिल की. देवीलाल और चंद्रशेखर के समर्थन से वो मामूली अंतर से जीते.Follow us on Google NewsADVERTISEMENT’वीपी सिंह अपने आदमी को बैठा देगा’, लालू यादव के सीएम बनने की कहानीलालू यादव मामूली वोटों से जीत गएहाइलाइट्सलालू यादव 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने.लालू ने देवीलाल और चंद्रशेखर के समर्थन से मामूली अंतर से जीता.लालू ने गांधी मैदान में जनता के बीच शपथ ली.पटना : आजकल बिहार विधानसभा का सत्र चल रहा है. सदन के भीतर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता विपक्ष तेजस्वी यादव के बीच जमकर कहासुनी देखी जा रही है. बजट पर बहस के बाद जब नीतीश कुमार अपनी सरकार का गुनगान कर रहे थे तो तेजस्वी ने टोक दिया. इस पर नीतीश गरम हो गए. बाप-बाप करने लगे. उन्होंने कहा – तुम कुछ नहीं जानते, तुम बच्चे हो, अपने पापा से पूछो, तुम्हारे बाप को मैंने सीएम बनाया. तुम्हारे जात वाले भी मुझसे कह रहे थे कि इसको काहे बना रहे हैं, तो भी हमने बना दिया. दरअसल नीतीश कुमार का इशारा अनूप लाल यादव की तरफ था. ये बात 1990 की है जब लालू यादव ने तमाम यादवों को पीछे छोड़ बिहार के सीएम की कुर्सी हथियाई थी. अपने पिता लालू यादव पर नीतीश के इस बयान के बाद तेजस्वी यादव ने हमला करने में एक दिन का वक्त लिया. उन्होंने कहा – अरे नीतीश बाबू को दो बार तो हमने सीएम बनाया है. वो क्या किसी को बनाएंगे. तेजस्वी का इशारा 2015 में आरजेडी के साथ हुई जीत और फिर पाला बदल कर 2022 में बनी सरकार की तरफ था. लेकिन आज जिक्र करेंगे उस किस्से का जिसका जिक्र सीएम नीतीश ने किया. ये किस्सा को लालू को सीएम बनाए जाने का है.बिहार की सत्ता और पार्टी की बुनियादलालू यादव ने 1997 में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) बनाया, लेकिन इससे पहले वे सात साल तक बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके थे. पहले उन्होंने बिहार की सत्ता अपने हाथ में ली और फिर अपनी पार्टी बनाई. समाजवादी विचारधारा के बावजूद उन्होंने परिवारवाद को अपनाया. सत्ता तक पहुंचने का सफर उनके लिए आसान नहीं था.कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद लालू यादव बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने. उस समय कांग्रेस के खिलाफ लहर चल रही थी और लोकसभा चुनाव हो रहे थे. लालू ने मौके का फायदा उठाते हुए छपरा से चुनाव लड़ा और जीतकर दिल्ली पहुंच गए.मुख्यमंत्री बनने की दौड़चार महीने बाद ही 1990 में बिहार विधानसभा के चुनाव हुए. जनता दल को 132 सीटें मिलीं और सहयोगी सीपीआई के साथ मिलकर उसने बहुमत हासिल कर लिया. इसके बाद लालू मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हो गए. उन्हें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री वीपी सिंह का समर्थन मिलेगा,लेकिन वीपी सिंह एक दलित नेता को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे. उनका समर्थन रामसुंदर दास को था,जो पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके थे. वीपी सिंह ने अजीत सिंह, जॉर्ज फर्नांडिस और सुरेंद्र मोहन को पटना भेजकर रामसुंदर दास की दावेदारी मजबूत करने की कोशिश की.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!