: द सर्जिकल स्ट्राइक, सरदार उधम और सैम बहादुर और अब ‘छावा’. विक्की कौशल लगातार अपनी एक्टिंग में वैरिएंट लाने की कोशिश कर रहे हैं. वह अलग-अलग अवतारों से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ‘छावा’ में उनकी मेहनत साफ नजर आ रही है. छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज के किरदार में जान डालने के लिए उन्होंने खूब मेहनत की है और उनकी मेहनत पर कोई सवाल नहीं उठा सकता, बावजूद इसके ‘छावा’ में वो दम नहीं दिखता जो सही मायनों में दिखना चाहिए. ये फिल्म मेरी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी. तो चलिए आपको फिल्म के बारे में विस्तार से बताते हैं.
कहानी:
फिल्म की कहानी छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के बाद शुरू होती है. शिवाजी महाराज के निधन के बाद मुगल सम्राट औरंगजेब को लगता है कि अब वो आराम से मराठों पर राज कर सकता है, लेकिन वो इस बात से अनजान था कि छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज अपने पिता की राह पर चलकर अकेले स्वराज की रक्षा करने में सक्षम हैं. संभाजी महाराज मुगलों के एक हिस्से पर हमला करते हैं और जीत हासिल करते हैं. यह खबर सुनते ही औरंगजेब आगबबूला हो जाता है और वह अपनी पूरी सेना के साथ संभाजी महाराज के वर्चस्व को खत्म करने के लिए निकल पड़ता है. क्या औरंगजेब अपनी योजना में सफल होता है? संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच युद्ध के क्या परिणाम होते हैं? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाकर पूरी फिल्म देखनी होगी.
कास्ट और एक्टिंग:
फिल्म में कई कलाकार हैं. फिल्म में छत्रपति संभाजी महाराज की भूमिका में विक्की कौशल, महारानी येसुबाई की भूमिका में रश्मिका मंदाना, मुगल बादशाह औरंगजेब की भूमिका में अक्षय खन्ना, सरसेनापति हंबीराव मोहिते की भूमिका में आशुतोष राणा, सोयराबाई की भूमिका में दिव्या दत्ता, कवि कलश की भूमिका में विनीत कुमार सिंह, औरंगजेब की बेटी जीनत-उन-निसा बेगम की भूमिका में डायना पेंटी, रायजी मालगे की भूमिका में संतोष जुवेकर और मुहम्मद अकबर की भूमिका में नील भूपालम हैं. वैसे, फिल्म में सभी ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है. फिल्म में सभी की एक्टिंग आपको पसंद आने वाली है.डायरेक्शन:फिल्म का निर्देशन लक्ष्मण उतेकर ने किया है. कुछ जगहों पर आपको उनका डायरेक्शन काफी पसंद आएगा, लेकिन कुछ जगहों पर आप निराश हो सकते हैं. जिस तरह से उन्होंने विक्की को संभाजी महाराज के रूप में पेश किया है, उसमें कई कमियां हैं. कई जगहों पर विक्की का चीखना-चिल्लाना और उनका गुस्सा बनावटी लगता है, वहीं कुछ सीन ऐसे हैं जिन्हें देखकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. अगर छोटी-छोटी बातों पर थोड़ा और ध्यान दिया जाता तो शायद यह फिल्म परफेक्ट हो सकती थी.कमियां:जब हम ऐतिहासिक एक्शन फिल्मों के सेट की बात करते हैं तो यहां फिल्म थोड़ी कमजोर नजर आती है. वहीं, स्क्रीन स्पेस की बात करें तो मुझे लगता है कि रश्मिका मंदाना और अक्षय खन्ना की मौजूदगी स्क्रीन पर थोड़ी और होनी चाहिए थी. पूरी फिल्म का भार विक्की कौशल पर छोड़ दिया गया. हर अगले सीन में विक्की नजर आते हैं. ऐसा लगता है कि रश्मिका को सिर्फ नाम के लिए फिल्म में लिया गया है. अगर अक्षय को भी ज्यादा सीन दिए जाते तो शायद उनका निगेटिव किरदार और मजबूत हो जाता. आखिरी कमी जो मुझे दिखी वो है फिल्म की गति, पहले हाफ से लेकर दूसरे हाफ तक फिल्म बहुत धीमी है. अगर फिल्म की अवधि थोड़ी कम कर दी जाती और इसकी गति बढ़ा दी जाती तो शायद फिल्म देखने में मजा आता.संगीत:इसमें कोई शक नहीं है कि एआर रहमान ने अपने संगीत से फिल्म में जान डाल दी है. उनका संगीत ही इस फिल्म की रेटिंग बढ़ाएगा. बैकग्राउंड म्यूजिक में कोई कमी नहीं है. म्यूजिक ऐसा है कि आपके अंदर जोश पैदा कर देगा.देखें या नहीं:मेरे हिसाब से आपको ये फिल्म देखनी चाहिए, क्योंकि ये एक पारिवारिक फिल्म है और आप इसे अपने बच्चों को भी दिखा सकते हैं. हम सभी को पता होना चाहिए कि इतिहास में क्या हुआ है. किताब में इतिहास पढ़ने और उस इतिहास को स्क्रीन पर देखने में बहुत अंतर होता है और इसमें कोई शक नहीं है कि विक्की कौशल ने इस फिल्म में भी अपना बेस्ट दिया है. मेरी तरफ से फिल्म को 2.5 स्टार.