ड्रोन में ना हो कोई चाइनीज पार्ट, आर्मी अलर्ट; एक मैन्युफैक्चरर का कॉन्ट्रैक्ट कैंसल

नई दिल्ली : भारतीय सेना में ड्रोन का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है और कई नई खरीद हो रही है। सेना ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि ड्रोन बनाने में भारतीय कंपनियां चीन में बने किसी भी पार्ट का इस्तेमाल ना करें, सर्टिफिकेट को कई स्तर पर चेक करना शुरू किया है। पिछले साल अगस्त में भारतीय सेना का एक टेक्टिकल यूएवी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर चला गया था। जिसके बाद सेना ने इस्तेमाल किए जा रहे उसी कंपनी के सभी ड्रोन का भी फीडबैल लिया। सूत्रों के मुताबिक सेना ने ड्रोन बनाने वाली एक कंपनी ‘दक्ष’ का कॉन्ट्रैक्ट भी रद्द कर दिया है। पहले इस कंपनी से सेना को ड्रोन लेने थे।पिछले साल अगस्त में सेना का जो यूएवी एलओसी पार चला गया था, वह आइडिया फ़ोर्ज का SWITCH यूएवी था। ये फिक्स्ड विंग ड्रोन हैं और हाई एल्टीट्यूट में कारगर हैं। यूएवी के दूसरी तरफ चले जाने की जांच की गई तो उसमें इसके ओरिजिनल मैन्युफैक्चर के भी स्टेटमेंट लिए गए, साथ ही इसे इस्तेमाल कर रहे लोगों के भी। जांच में कहा गया कि इस घटना की वजह टेक्निकल गड़बड़ी या हवा की स्थिति हो सकती है। हालांकि इसके बाद से ही यह सवाल और जोरशोर से उठने लगने कि कंपनियां ड्रोन बनाने में कई पार्ट चीन से लेकर इस्तेमाल करती हैं। सूत्रों के मुताबिक सेना के पास 180 से ज्यादा SWITCH यूएवी हैं। पिछले साल अगस्त में हुई इस घटना के बाद सभी से इस यूएवी का फीडबैक भी लिया गया।सूत्रों के मुताबिक सेना की यह पॉलिसी है कि जो ड्रोन खरीदे जाएंगे उसमें चीन में बना हुआ कोई पार्ट ना हो। इस संबंध में कंपनी से सर्टिफिकेट भी लिया जाता है, जिसमें वे बताते हैं कि इसमें चीन में बने किसी पार्ट का इस्तेमाल नहीं है। इसके बावजूद कुछ ड्रोन में चाइनीज पार्ट पाए गए। अब सेना ने इसमें एक और क्लॉज जोड़ दिया है। अब ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी को यह भी सर्टिफिकेट देना होगा कि इसमें कोई Malicious code (ऐसा कोई सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम जो नेटवर्क को डैमेज कर सके) नहीं है। साथ ही सर्टिफिकेट सही है या नहीं, इसे अब कई स्तर पर चेक करने का सिस्टम भी बनाया है।

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