मैं हिंदू जन्मा हूं और हिंदू ही मरूंगा…’ मंदिर-मंदिर जा रहे गांधी परिवार के खास दिग्गज कांग्रेसी, मगर सकते में पार्टी!

DK Shivakumar and Karnataka Congress: देश भर में कांग्रेस पार्टी लगातार सिमटी जा रही है. देश के मात्र तीन राज्यों में उसकी सरकार हैं. ये राज्य हैं कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश. लेकिन तीन में दो राज्यों कर्नाटक और तेलंगाना में पार्टी स्पष्ट तौर पर आंतरिक कलह से जूझ रही है. बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन में सुधार हुआ था लेकिन उसके बाद हुए कई विधानसभा चुनावों में वह बुरी तरह हारती रही. पहले हरियाणा और फिर महाराष्ट्र में पार्टी की बुरी हार हुई. उसके पास एक मात्र बड़ा राज्य कर्नाटक है. लेकिन, कर्नाटक में पार्टी बुरी तरह दोफाड़ दिख रही है. इस बीच राज्य के डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार को लेकर पार्टी असहज दिख रही है. दरअसल, कर्नाटक में डीके शिवकुमार चुनाव के वक्त से ही सीएम पद के दावेदार हैं. वह लगातार नेतृत्व पर दबाव बना रहे हैं कि उनको सीएम बनाया जाए. इसको लेकर कांग्रेस के भीतर लंबे समय से जबर्दस्त गुटबाजी चल रही है.पार्टी सकते मेंइस बीच शिवकुमार की गतिविधियों को लेकर पार्टी सकते में है. शिवकुमार बीते कुछ समय से लगातार मंदिरों का दौरा कर रहे हैं. वह प्रयागराज कुंभ में भी स्नान करने गए थे. वैसे किसी भी व्यक्ति का मंदिर जाना या महाकुंभ स्नान करना उनका निजी मसला है लेकिन डीके शिवकुमार की इन गतिविधियों से राजनीतिक गलियारे में चर्चा बढ़ गई है. डीके शिवकुमार तमाम कोशिशों के बावजूद राज्य में नेतृत्व परिवर्तन नहीं करवा पा रहे हैं. पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनके साथ है. मुख्यमंत्री सिद्दारमैया का खेमा भी काफी प्रभावी है. शिवकुमार खेमा दावा करता है कि राज्य में ढाई-ढाई साल के सीएम का फॉर्मूला तय हुआ था लेकिन इसको अमल में नहीं लाया जा रहा है. शिवकुमार वैसे तो गांधी परिवार के बेहद करीबी नेता माने जाते हैं. भ्रष्टाचार के आरोप में चल वह जेल गए थे तो उनसे मिलने कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी ने पहुंची थीं. शिवकुमार भी सार्वजनिक तौर पर सोनिया के लिए विशेष सम्मान जताते रहते हैं.श्रीमाले महादेश्वर मंदिर का दौरादरअसल, शिवकुमार गुरुवार को चामाराजनगर में कैबिनेट की बैठक से पहले श्रीमाले महादेश्वर मंदिर का दौरा किया. उन्होंने हुलिवाहन महादेश्वर रजत रथ यात्रा में दंडुकोला सेवा ने हिस्सा लिया. इसके बाद उन्होंने सलुरु बृहन्मठ के पोंटिफ श्री शांतमल्लिकार्जुन स्वामी से मुलाकात की. इससे पहले उन्होंने सुतूर मठ के जगद्गुरु श्री शिवरात्रि देशिकेंद्र स्वामीजी का भी दर्शन किया. बीते जनवरी से वह लगातार धार्मिक स्थलों का दौरा कर रहे हैं. पिछले हफ्ते वह श्री क्षेत्र धार्मस्थल में भगवान मंजुनाथ की पूजा की. वह बीते दिनों ईशा फाउंडेशन के महाशिवरात्रि समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मंच साझा किया. इस कारण पार्टी के भीतर भी सवाल उठने लगे. राज्य के सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने सार्वजनिक रूप से डीके शिवकुमार के अमित शाह के साथ मंच साझा करने की आलोचना की. दूसरी ओर डीके शिवकुमार इन आलोचनाओं से बेखबर दिख रहे हैं. वह इन्हें अपना निजी दौरा बताते हैं. फरवरी महीने में सद्गुरु के आयोजन में शामिल होने पर उन्होंने कहा कि मैं हिंदू पैदा हुआ और हिंदू ही मरूंगा. लेकिन, मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं.शाह के साथ साझा किया मंचऐसे में सवाल उठता है कि डीके शिवकुमार के इन गतिविधियों के पीछे उनकी मंशा क्या है? क्या वह राज्य में भाजपा के हिंदुत्व की राजनीति की काट के तौर खुद को तैयार कर रहे हैं या फिर वह पार्टी नेतृत्व पर दबाव डाल रहे हैं कि अगर उनको सीएम की कुर्सी नहीं दी गई तो उनके विकल्प खुले हैं. कांग्रेस पहले भी कई राज्यों में नेतृत्व के मसले पर इसी तरह के संकट से जूझ चुकी है. पार्टी इसका खामियाजा मध्य प्रदेश में भुगत चुकी है. वहां उसके बड़े नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सीएम की कुर्सी पर बवाल के कारण पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस राज्य की सत्ता से बाहर हो गई.

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