मुंबई के विले पार्ले इलाके में स्थित एक पुराने जैन मंदिर को लेकर विवाद बढ़ गया है. बीएमसी ने मंदिर के कुछ हिस्से को अवैध बताते हुए उसे हटाने का नोटिस जारी किया है. इस नोटिस के विरोध में जैन समाज के सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और बीएमसी कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में बीजेपी के वरिष्ठ नेता मंगल प्रभात लोढ़ा और विले पार्ले से बीजेपी विधायक पराग अलवानी भी जैन समाज के साथ शामिल हुए.विले पार्ले का यह जैन मंदिर कई दशकों पुराना है और स्थानीय जैन समुदाय के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है. बीएमसी का कहना है कि मंदिर का कुछ हिस्सा एक आरक्षित जमीन पर बना है, जो एंटरटेंमेंट पार्क के लिए निर्धारित है. इसके आधार पर बीएमसी ने मंदिर ट्रस्ट को नोटिस जारी कर अवैध हिस्से को हटाने का आदेश दिया. बीएमसी के अनुसार यह कार्रवाई 2015, 2020 और 2024 में जारी किए गए नोटिसों का हिस्सा है. हाल ही में 8 अप्रैल 2025 को सिटी कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी थी और 15 अप्रैल को हाईकोर्ट में भी अपील ठुकरा दी गई. इसके बाद 16 अप्रैल 2025 को बीएमसी ने मंदिर के हिस्से को तोड़ दिया.मंदिर ट्रस्ट और जैन समुदाय ने बीएमसी की इस कार्रवाई को जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया है. उनका कहना है कि हाईकोर्ट में उनकी अपील अभी भी लंबित थी और बीएमसी ने बिना पूरी प्रक्रिया का पालन किए कार्रवाई की. विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने नारेबाजी करते हुए बीएमसी के फैसले को जैन समुदाय की भावनाओं के खिलाफ बताया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह मंदिर केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि सामुदायिक एकता का प्रतीक भी है.पारदर्शिता बरते बीएमसीप्रदर्शन में शामिल बीजेपी नेता मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा कि जैन समुदाय की भावनाओं का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है. बीएमसी को इस मामले में पारदर्शिता बरतनी चाहिए थी. हम इस मुद्दे को सरकार तक ले जाएंगे और मंदिर की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. वहीं, विधायक पराग अलवानी ने कहा कि विले पार्ले के लोगों का इस मंदिर से गहरा जुड़ाव है, और बीएमसी का फैसला स्थानीय लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है.जैन समाज के नेताओं ने भी बीएमसी पर पक्षपात का आरोप लगाया. कुछ लोगों ने दावा किया कि पास के एक होटल मालिक ने बार लाइसेंस के लिए रिश्वत देकर मंदिर को निशाना बनवाया. हालांकि, इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. प्रदर्शन के दौरान जैन समुदाय ने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी और सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की.