यूपी के इस शहर का महादेव से है खास कनेक्शन, भोलेनाथ के त्रिशूल पर टिकी है पूरी नगरी

वाराणसी: वैसे उत्तर प्रदेश के कई ऐसे शहर हैं, जो किसी न किसी देवी देवता के नाम या उनके धाम से जाना जाता है. जैसे अयोध्या का राम मंदिर तो भगवान कृष्ण की लीला के लिए मथुरा-वृंदावन, च‍ित्रकूट का रामघाट और कामतानाथ मंदिर तो मीरजापुर में माता विंध्यवासिनी का पव‍ित्र धाम. यूपी सिर्फ भगवान के लिए बल्कि ऐतिहासिक इमारतों के लिए भी काफी फेमस है. कोई ऐसा शख्स नहीं होगा जो लाइफ में एक बार आगरा का ताजमहल न देखने की इच्छा रखता हो. मगर, हम आपको अब यूपी की एक ऐसी नगरी के बारे में बताने वाले हैं, जो भोलेनाथ के त्रिशूल पर टिकी है.यहां के कण-कण में शिव का वासजी हां, आपको सुनकर कुछ अटपटा लग सकता है. मगर, ये सच है. वो शहर और कोई नहीं उत्तर प्रदेश का वाराणसी है. इसे भले ही हम बनारस या वाराणसी नाम दे दें, लेकिन जब भी हम बुजुर्गों की जुबानी सुनेंगे तो उनकी जुबान पर एक ही नाम आता है और वो है शिव की नगरी काशी. यहां भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. बनारस शहर काफी खास है, क्योंकि यहां के कण-कण में शिव का वास है.विदेशों में भी विख्यातमगर, आपको शायद नहीं पता हो वाराणसी से भोलेनाथ का कनेक्शन बहुत पुराना है. यही वजह है कि बनारस की गलियों में भोलेनाथ के मंदिर हैं. गलियों को छोड़ दीजिए काशी विश्वनाथ.. जिसकी सुंदरता..भव्यता और मान्यता न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी विख्यात है. भगवान भोलेनाथ के सबसे प्रसिद्ध और चर्चित मंदिरों में से काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग. हालांकि, हर किसी का सबसे पहले यही सवाल होता है कि आखिर भगवान शिव के निवास को वाराणसी क्यों कहते हैं? तो हम आपको बता दें, ये नाम वरुणा और असी दो नदियों को मिलाकर बनाया गया है.यह है मान्यतावाराणसी में आपको कुछ अजीबो गरीब कहानियां सुनाने वाले लोग मिल जाएंगे. यहां होने वाली सबसे अजीब चीज ये है कि यहां मेंढ़कों को पकड़कर उनकी शादी करवाई जाती है. ये एक पुरानी परंपरा है, जिसका पालन लोग वर्षा देवताओं को प्रसन्न करने के लिए करते हैं. यह आमतौर पर तब किया जाता है जब बारिश समय पर नहीं होती.सबसे प्यारी और खूबसूरत नगरीवहीं, हिंदू धर्म में काशी विश्वनाथ का अपना एक अलग ही महत्व है. कहा जाता है कि काशी तीनों लोकों में सबसे प्यारी और खूबसूरत नगरी है, जो भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है. माना जाता है कि जिस जगह ज्योतिर्लिग स्थित है, वो जगह कभी भी लुप्त नहीं होती और सदियों से वैसी की वैसी ही स्थापित है. कहते हैं कि जो भक्त इस शहर में आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं उन्हें हर तरह के पाप से मुक्ति मिलती है.

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