22 साल पहले आज ही हुआ था बगदाद का पतन, अमेरिका ने किया सद्दाम हुसैन के क्रूर शासन का अंत

Baghdad Fall 22nd Anniversary: 9 अप्रैल, 2003 को इस सदी की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक घटी. इस दिन अमेरिका ने बगदाद के फिरदौस स्क्वायर में सद्दाम हुसैन की कांस्य प्रतिमा को गिरा दिया, जिससे बगदाद का पतन हो गया. अमेरिकी सेना ने इराक की राजधानी पर कब्जा कर लिया. यह घटना इराक पर अमेरिकी हमले के तीन हफ्तों के अंदर घटी थी. इस हमले का मकसद इराक में कथित सामूहिक विनाश के हथियारों के कार्यक्रमों को खत्म करना था. इसके लिए कत्लेआम मचाने वाली सद्दाम हुसैन की सरकार को उखाड़ना और इराक में लोकतंत्र की स्थापना करना जरूरी था.ढहा दी गई सद्दाम की प्रतिमाइराक की राजधानी बगदाद पर अमेरिकी सेना के हाथों में जाने की घटना इस जंग में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई. 20 मार्च को अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन के आक्रमण के साथ शुरू हुए युद्ध के बाद सेनाएं बगदाद में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गईं. इस प्रवेश के दौरान, उन्हें न्यूनतम प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, क्योंकि सद्दाम हुसैन के शासन का तेजी से पतन हुआ. 9 अप्रैल को अमेरिकी सेना ने बगदाद के फिरदौस स्क्वायर में सद्दाम हुसैन की कांस्य प्रतिमा को गिरा दिया, जो इराकी राष्ट्रपति के लंबे शासन का अंत था. मूर्ति गिराने के बाद भी लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर था. सद्दाम की मूर्ति चौराहे पर गिरी हुई थी और लोग उस पर चप्पल मार रहे थे और पत्थरबाजी कर रहे थे. इस घटना का दुनिया भर में सीधा प्रसारण किया गया था.दिसंबर 2006 में दी गई सद्दाम को फांसीअमेरिका की जीत के बावजूद बगदाद के पतन ने इराक के इतिहास में एक अराजक शासन को जन्म दिया. सद्दाम हुसैन के भाग जाने के बाद इराक में जो सत्ता शून्यता हुई उसके कारण नागरिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गई और शहरों में लूटपाट की स्थिति पैदा हो गई. देश के ऐसे हालात में अल-कायदा और बाद में आइसिस सहित विद्रोही समूहों का उदय हुआ. सद्दाम हुसैन के खिलाफ जिस वजह से आक्रमण किया गया था, वैसे सामूहिक विनाश के कोई हथियार नहीं मिले. दिसंबर 2003 में अमेरिकी सेना द्वारा सद्दाम हुसैन को पकड़ने और दिसंबर 2006 में उसे फांसी दिए जाने के बावजूद इराक में युद्ध जारी रहा. जंग शुरू होने के पूरे आठ साल बाद यानी दिसंबर 2011 तक अमेरिका औपचारिक रूप से इराक से नहीं हटा.20 सालों तक रहा इराक का राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन का जन्म 28 अप्रैल 1937 को इराक के तिकरित गांव में हुआ. सद्दाम का पालनपोषण उसके चाचा ने किया था. सद्दाम ने 20 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा. उसने बाथ पार्टी ज्वाइन की और इसके बाद क्रांतिकारी बन गया. सद्दाम हुसैन ने तेजी से तरक्की की सीढ़ियां चढीं. साल 1979 में पहली बार सद्दाम ने राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली. वह 20 सालों तक इराक का राष्ट्रपति रहा. इस दौरान उसने बड़े पैमाने पर कत्लेआम मचाया. कहा जाता है कि अपने कार्यकाल में उसने जब चुनाव कराए तो उसके खिलाफ कोई नहीं लड़ा. उसने अकेले चुनाव लड़ा और 100 फीसदी वोटों से जीत हासिल की. बाकी तानाशाहों की तरह उसने भी इराकी नागरिकों को प्रताड़ित किया.

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