नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी देशों से निर्यात होने वाले उत्पादों पर टैरिफ लगा दिया है, जिसमें भारत पर 26 फीसदी टैरिफ ठोका गया है. इसका असर मोबाइल फोन की कीमतों पर भी पड़ेगा या नहीं, इसका जवाब न्यूज 18 के राइजिंग इंडिया समिट 2025 के मंच पर आए नथिंग कंपनी के को-फाउंडर अकीस इवेंजेलिडिस ने दिया. उन्होंने बताया कि नए टैरिफ से स्मार्टफोन की कीमतों पर कितना असर पड़ेगा.अकीस इवेंजेलिडिस ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर टैरिफ लगाए जाने के बाद स्मार्टफोन की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. हालांकि, उन्होंने इस बात का इशारा जरूर किया कि इससे कीमतों पर असर पड़ेगा और स्मार्टफोन के दाम बढ़ सकते हैं. भारत में एपल और सैमसंग सहित तमाम कंपनियां अपनी उत्पादन यूनिट लगा रही हैं और यहां से निकले सामान अमेरिकी बाजार में जाकर महंगे हो जाएंगे, लेकिन कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.क्या स्मार्टफोन के गुलाम बन रहे लोगअकीस इवेंजेलिडिस से जब यह पूछा गया कि क्या लोग स्मार्टफोन और तकनीक के गुलाम बन रहे हैं तो उन्होंने साफ कहा कि हम स्मार्टफोन की उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं, न कि इसके इस्तेमाल को कम कर सकते हैं. स्मार्टफोन के मामले में यूजर एक्सपीरियंस को फिर से परिभाषित करने के लिए एआई नई संभावनाएं ला रहा है. उन्होंने समझाया कि लोग अपने जीवन और काम में एआई को कैसे शामिल करते हैं. हालांकि, एआई के उपयोग में गोपनीयता को लेकर उन्होंने अपनी चिंताओं को भी व्यक्त किया.क्या भारत में बनाएंगे नथिंग फोनअकीस ने यह भी बताया कि कैसे अमेरिका की हालिया टैरिफ नीति ने कंपनी को प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका के बाहर कहीं भी इसका उत्पादन होने पर कीमतों पर असर पड़ेगा. भारत में नथिंग फोन के निर्माण की योजनाओं पर उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार आज तकनीक को लेकर काफी तेजी से बढ़ रहा है और दुनियाभर के टेक दिग्गज अपनी उत्पादन इकाइयां यहां लगा रही हैं. उन्होंने भविष्य में इस पर आगे बढ़ने की संभावनओं से इनकार नहीं किया.कैसे किया ऐपल का मुकाबलाअकीस ने अमेरिका के स्मार्टफोन बाजार में पहले से मौजूद ऐपल जैसी दिग्गज कंपनी के प्रोडक्ट से मुकाबला करने की रणनीति का भी खुलासा किया. उन्होंने बताया कि अपने फोन की लांचिंग से पहले बाजार की नब्ज टटोली और यह पता किया कि कैसे ऐपल जैसी दिग्गज तकनीक से मुकाबला किया जाए. इसके बाद अमेरिकी बाजार में पकड़ बनाना आसान हो गया और मार्केटिंग की रणनीति के बलबूते अमेरिकी बाजार में कंपनी का पांव पसासना भी आसान हो गया.