प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस से शुक्रवार को थाईलैंड में मुलाकात की. पीएम मोदी ने उनसे बांग्लादेश में हिन्दुओं की सुरक्षा करने और भारत के खिलाफ बेतुकी बयानबाजी से दूर रहने को कहा. मीटिंग में क्या हुआ, इसके बारे में दोनों देशों के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किए, लेकिन इन बयानों में काफी अंतर है. तो क्या बांग्लादेश अपने ही देश के लोगों से झूठ बोल रहा है?भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया कि पीएम मोदी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं की सुरक्षा और संरक्षा पर भारत की चिंता जताई. उन्होंने हिन्दुओं पर हुए हमलों की गंभीरता से जांच करने और दोषियों को सजा देने को कहा.जबकि बांग्लादेश की सरकार ने इस बारे में एक भी शब्द नहीं बोला. ये भी नहीं कहा कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर कोई बात भी हुई है. जबकि पीएम मोदी ने काफी सख्त लहजे में उनसे इस समस्या से निपटने को कहा है.’प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश बॉर्डर से जबरदस्ती घुसपैठ कर रहे लोगों को रोकने के लिए कहा. कहा कि सीमा पर सुरक्षा बनाए रखने के लिए कानून का सख्त पालन और अवैध सीमा पार की रोकथाम जरूरी है.जबकि बांग्लादेश दावा कर रहा कि यूनुस ने पीएम मोदी के साथ बॉर्डर पर बांग्लादेशी लोगों के मर्डर का मुद्दा उठाया और हत्याएं रोकने की अपील की. जबकि इस तरह की कोई भी बात भारतीय विदेश मंत्रालय के बयानों में नहीं है. यह मुद्दा बांग्लादेशियों को काफी अपील करता है.हाल ही में यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर को ‘लैंडलॉक्ड’ बताया था और चीन को इससे नजदीक इलाकों में इन्वेस्ट करने का न्योता दिया था. इस पर पीएम मोदी ने उन्हें ठीक से समझाया. मोदी ने कहा कि ऐसी बयानबाजी जो माहौल को खराब करे, उससे बचना चाहिए.जबकि बांग्लादेश की ओर से यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने जो कुछ भी बताया, उसमें इसका कोई जिक्र नहीं है. बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण और गंगा जल संधि जैसे अपने विशिष्ट मुद्दों को प्राथमिकता दी है.भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, शेख हसीना के सिलसिले में बांग्लादेश की ओर से हमारे पास एक निवेदन आया है. हमारे प्रवक्ता इसके बारे में पहले ही बता चुके हैं. इस समय इस विषय पर कुछ और कहना सही नहीं होगा.जबकि बांग्लादेश ने कहा, पीएम मोदी के सामने मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग उठाई है. साथ ही उनके भड़काऊ बयानबाजी पर रोक लगाने की मांग की है.बांग्लादेश ने दावा किया कि यूनुस ने 1996 की गंगा जल संधि को रिन्यू करने की मांग की. तीस्ता जल बंटवारे पर भी चर्चा हुई है.लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में जल बंटवारे को लेकर कोई बात नहीं है. इस तरह की किसी बातचीत का कोई ब्योरा नहीं दिया गया है.