नई दिल्ली. पिछले वित्तवर्ष के आखिरी महीने यानी मार्च में देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने जोरदार ग्रोथ दर्ज की है. एचएसबीसी इंडिया ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि विदेशी बाजारों से मिले बंपर ऑर्डर की वजह से घरेलू कंपनियों के विनिर्माण में भी मार्च में जबरदस्त ग्रोथ दिखी. इसका फायदा रोजगार खोजने वालों को भी मिला और हायरिंग गतिविधियों में तेजी आई.एचएसबीसी इंडिया के मुताबिक, भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर मार्च में बढ़कर आठ महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई. बेहतर मांग की स्थिति के बीच कारखाना ऑर्डर और उत्पादन में तीव्र वृद्धि इसकी मुख्य वजह रही. मौसमी रूप से समायोजित ‘एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक’ (पीएमआई) मार्च में 58.1 रहा जो फरवरी में काफी कम था. फरवरी में नए ऑर्डर और उत्पादन में धीमी वृद्धि के बीच भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 14 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई थी.लौट आई खोई जमीनसर्वे में बताया गया कि पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है, जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा संकुचन को दर्शाता है. भारत में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि ने फरवरी में खोई हुई जमीन वापस पा ली है, जो मुख्य रूप से इसके सबसे बड़े उपघटक नए ऑर्डर सूचकांक के मजबूत योगदान से प्रेरित रही है.जुलाई के बाद सबसे ज्यादा बिक्रीसर्वेक्षण में कहा गया कि मार्च महीने में कुल बिक्री में जुलाई 2024 के बाद से सबसे अधिक वृद्धि देखी गई, जिसका श्रेय कंपनियों ने सकारात्मक ग्राहक रुचि, अनुकूल मांग की स्थिति और सफल विपणन इनीशिएटिव को दिया जाता है. कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में उत्पादन की मात्रा बढ़ा दी है. विस्तार की दर तेज हुई और अपने ऐतिहासिक औसत से अधिक रही जिससे आठ महीनों में सबसे मजबूत वृद्धि दर्ज की गईनए ऑर्डर में जोरदार तेजीमार्च में नए निर्यात ऑर्डर में जोरदार वृद्धि जारी रही, लेकिन वृद्धि की गति तीन महीने के निचले स्तर पर आ गई. कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय बिक्री के मामले में एशिया, यूरोप और पश्चिम एशिया में हुई वृद्धि का हवाला दिया. इसका मतलब है कि इन बाजारों से जमकर ऑर्डर मिला. कंपनियों को ग्राहकों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपने भंडार का उपयोग करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप जनवरी 2022 के बाद से तैयार माल के भंडार में सबसे तेज गिरावट आई है. एचएसबीसी इंडिया ने यह रिपोर्ट 400 विनिर्माताओं से जुटाए आंकड़ों के आधार पर तैयार की है.