20अटल बिहारी वाजपेयी: कारगिल युद्ध के बाद दी गई वो इफ्तार पार्टी, पूरा देश हो गया था एकजुट, मुंह ताकते रह गए थे दुनियावालेEdited by:Manish KumarLast Updated:March 29, 2025, 18:37 ISTAtal Bihari Vajpayee Iftar Party: भारत लोकतांत्रिक देश होने के साथ ही बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक देश भी है. सालों से सनातन धर्म का गढ़ भारत में कई संप्रदाय साथ मिलकर रह रहे हैं. यह दुनिया के लिए कौतू…और पढ़ेंFollow us on Google NewsAdvertisementवाजपेयी: कारगिल युद्ध के बाद दी गई वो इफ्तार पार्टी, पूरा देश हो गया था एकजुटपूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के समय में पूरे उत्साह के साथ इफ्तार पार्टियों का आयोजन होता था.हाइलाइट्सअटल बिहारी वाजपेयी अपने कार्यकाल में इफ्तार पार्टी को नया आयाम दिया थाइफ्तार पार्टियां सामाजिक सौहार्द्र के साथ ही एकता के लिए भी मिसाल बनी थींरमजान के पवित्र महीने में इफ्तार पार्टियां राजनीति में परंपरा की तरह हैंपूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति में अपनी उदार सोच, अनोखे अंदाज और समावेशी दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे. वह भारत के दसवें प्रधानमंत्री थे. उनकी इफ्तार पार्टियां सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक मानी जाती थीं. भारत में राजनीतिक दलों द्वारा इफ्तार पार्टियां आयोजित करने की परंपरा पुरानी है, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे महज़ औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सामाजिक समरसता का मंच बनाया. उनकी इफ्तार पार्टियां एक संदेश देती थीं कि भारतीय राजनीति केवल बहस और प्रतिस्पर्धा तक सीमित नहीं, बल्कि मेल-जोल और एकता को भी महत्व देती है. कारगिल युद्ध के बाद तत्कालीन पीएम वाजपेयी की ओर से दी गई इफ्तार पार्टी ने पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरो दिया था. दुनियावाले भी भौंचक्के रह गए थे.अटल बिहारी वाजपेयी वाजपेयी खुद कट्टर हिंदूवादी राजनीति से दूर रहकर उदार राष्ट्रवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में विश्वास रखते थे. वे मानते थे कि देश की विविधता ही उसकी ताकत है. इसलिए, जब वे प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने इफ्तार पार्टियां आयोजित करने की परंपरा को जारी रखा और उसे और अधिक गरिमा प्रदान की. वाजपेयी की इफ्तार पार्टिया न केवल धार्मिक सौहार्द का प्रतीक थीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होती थीं. उनके द्वारा दी गई इफ्तार पार्टियों में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, कूटनीतिज्ञ, साहित्यकार, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होते थे. यह आयोजन मुस्लिम समुदाय के प्रति एक सकारात्मक संदेश भेजता था और भाजपा को एक समावेशी पार्टी के रूप में प्रस्तुत करता था.ऐतिहासिक इफ्तार पार्टियां1998-99 में प्रधानमंत्री बनने के बाद – अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में कई बार इफ्तार पार्टी का आयोजन किया. साल 1999 में जब कारगिल युद्ध के बाद देश में राष्ट्रवाद की भावना चरम पर थी, तब उन्होंने इफ्तार के माध्यम से शांति और सद्भाव का संदेश दिया.संबंधित खबरेंTejas: क्रायोजेनिक की तरह खुद ही संभल जाने का आ गया वक्त, वरना होगा बेड़ा गर्कTejas: क्रायोजेनिक की तरह खुद ही संभल जाने का आ गया वक्त, वरना होगा बेड़ा गर्कCM नीतीश की इफ्तार पार्टी पर मुस्लिम संगठनों का बड़ा ऐलान, अब बॉयकाट पॉलिटिक्सCM नीतीश की इफ्तार पार्टी पर मुस्लिम संगठनों का बड़ा ऐलान, अब बॉयकाट पॉलिटिक्ससाल 2003 की इफ्तार पार्टी – साल 2003 में आयोजित इफ्तार पार्टी विशेष रूप से चर्चा में रही, क्योंकि तब भारत-पाकिस्तान संबंधों को सुधारने की कोशिशें हो रही थीं. इसमें विभिन्न मुस्लिम देशों के राजदूतों के साथ-साथ पाकिस्तान के कुछ नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था.वाजपेयी का विराट व्यक्तित्वभाजपा एक राष्ट्रवादी पार्टी मानी जाती है और कई बार पार्टी के भीतर इफ्तार पार्टियों पर असहमति भी देखी गई, लेकिन वाजपेयी का व्यक्तित्व अलग था. वे कट्टरपंथी विचारधाराओं के बजाय सर्वसमावेशी राजनीति के पक्षधर थे. वे मानते थे कि एक प्रधानमंत्री को पूरे देश का प्रतिनिधित्व करना चाहिए न कि किसी एक धर्म या वर्ग विशेष का. हालांकि, समय के साथ भाजपा के भीतर इफ्तार पार्टियों पर बहस शुरू हो गई. पूर्व पीएम ने यह सिद्ध किया कि राजनीति केवल मतों की गणना नहीं होती, बल्कि यह दिलों को जोड़ने की भी एक प्रक्रिया है. उनकी इफ्तार पार्टियां महज़ एक आयोजन नहीं थीं, बल्कि यह भारतीय राजनीति में एक सकारात्मक संदेश छोड़ गईं कि आपसी सौहार्द्र और एकता ही राष्ट्र की सच्ची ताकत है.टॉप वीडियोसभी देखेंtags :Atal Bihari VajpayeeNational NewsLocation :New Delhi,DelhiFirst Published :March 29, 2025, 18:31 ISThomenationवाजपेयी: कारगिल युद्ध के बाद दी गई वो इफ्तार पार्टी, पूरा देश हो गया था एकजुटnext articleहिम्मत चाहिए ये करने के लिए! बेटे की इन हरकतों से जब परेशान हुई मां, तो उठाया ये कदम…Written by:Shikhar ShuklaAgency:Local18Last Updated:March 29, 2025, 18:36 ISTKerala: एक मां ने अपने बेटे को पुलिस के हवाले कर दिया, जो नशे और अपराध में लिप्त था. बेटे की धमकियों और हिंसा से परेशान होकर मां ने 10 साल की उम्मीद के बाद कानून का सहारा लिया.Follow us on Google Newsहिम्मत चाहिए इसके लिए! बेटे की हरकतों से परेशान हुई मां, उठाया ये कदम और…केरल में मां ने बेटे को खुद पुलिस को सौंपाकेरल में कुछ सप्ताह पहले एक मां की दर्दनाक कहानी सामने आई थी, जिसमें उसने पुलिस को बताया था कि उसका बेटा उसे मारने की कोशिश कर रहा था. बेटे ने न केवल उसकी गर्दन दबाने की कोशिश की बल्कि सिर पर हथौड़े से वार भी किया. इसके कुछ ही दिन बाद एक और खबर आई कि पुलिस ने एमडीएमए के साथ चार लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें एक मां और बेटा भी शामिल थे. यह घटनाएं दिखाती हैं कि युवा पीढ़ी किस तरह नशे और अपराध की दुनिया में फंसती जा रही है. लेकिन इस माहौल में एक मां ने हिम्मत दिखाई और अपने ही बेटे के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि उन हजारों माताओं की पीड़ा को दर्शाती है जो अपने बच्चों को गलत रास्ते पर जाते देख रही हैं.मिनी ने अपने ही बेटे को पुलिस के हवाले कियाकोझिकोड के एलाथुर की रहने वाली वलियिल मिनी ने अपने 26 वर्षीय बेटे राहुल को पुलिस के हवाले कर दिया. राहुल पहले ही पोक्सो सहित कई मामलों में आरोपी था और जमानत पर रिहा होने के बाद 9 महीने तक फरार रहा. जब वह घर लौटा तो उसने हंगामा मचाना शुरू कर दिया. उसकी मां ने पुलिस को बुलाया, लेकिन राहुल ने आत्महत्या की धमकी देते हुए अपनी गर्दन पर ब्लेड रख लिया. पुलिस ने उसे शांत कराकर हिरासत में ले लिया. मिनी ने बताया कि उसके बेटे को नशे की लत उसके स्कूल के दोस्तों ने लगवाई थी. धीरे-धीरे वह हिंसक होता चला गया और परिवार के सदस्यों को धमकाने लगा.बेटे ने परिवार को बनाया डर का शिकारराहुल की हरकतें धीरे-धीरे परिवार के लिए खतरा बन गईं. वह लगातार घर में शोर मचाता और पैसों की मांग करता. जब पैसे नहीं मिलते तो गुस्से में घर का सामान तोड़ देता. उसने घर के कपड़े तक जलाने की कोशिश की. राहुल ने अपनी मां, दादी और यहां तक कि अपनी बहन के बच्चे को भी जान से मारने की धमकी दी. पुलिस को बुलाने के बाद उसने आत्महत्या की धमकी देते हुए एक सुसाइड नोट भी लिख दिया, ताकि अपनी मां को ही फंसा सके.दस साल तक मां ने रखी उम्मीद, लेकिन अंत में हार गईमिनी ने पूरे दस साल तक उम्मीद की कि उसका बेटा सुधर जाएगा. उसने अपने बेटे को सही राह पर लाने के लिए अपनी सारी बचत उस पर खर्च कर दी, लेकिन राहुल अपराध की दुनिया में और गहरे उतरता चला गया. आखिरकार, जब वह समाज के लिए खतरा बन गया, तो मजबूर होकर मां को पुलिस की मदद लेनी पड़ी. मिनी ने अधिकारियों से गुहार लगाई कि राहुल को जल्दी जेल से न छोड़ा जाए, क्योंकि बाहर आने के बाद वह सबसे पहले अपने माता-पिता की हत्या कर देगा.अपराध और नशे की दुनिया में डूबा राहुलराहुल का संबंध मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोह से बताया जा रहा है. पुलिस के मुताबिक, वह पहले भी तीन बार आत्महत्या करने की कोशिश कर चुका है. कोझिकोड, थमारास्सेरी, कूराचुंडु और इडुक्की जिले के पीरुमेदु पुलिस थानों में उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं.