वो ताकतवर मुगल बादशाह, 9 साल बाद उखाड़ दी गई जिसकी कब्र, अब नहीं भारत में नामोनिशां, क्यों किया ऐसा

20वो ताकतवर मुगल बादशाह, 9 साल बाद उखाड़ दी गई जिसकी कब्र, अब नहीं भारत में नामोनिशां, क्यों किया ऐसाAuthor:संजय श्रीवास्तवLast Updated:March 20, 2025, 18:35 ISTसही मायनों में मुगल सल्तनत ने भारत पर पूरी ताकत के साथ करीब 200 साल शासन किया लेकिन उसकी मौजूदगी 331 सालों तक बनी रही. इसमें एक बार ऐसा भी हुआ जबकि ताकतवर एक मुगल बादशाह की कब्र को उखाड़ दिया गया.Follow us on Google NewsAdvertisementवो ताकतवर मुगल बादशाह, 9 साल बाद उखाड़ दी गई जिसकी कब्र, भारत में नहीं है अबहाइलाइट्सइस शहंशाह की कब्र मरने के बाद आगरा में बनाई गई थीइस शहंशाह की कब्र का अब आगरा में नामोनिशान भी नहींकिन दो मुगल शहंशाहों की कब्र पर लगातार होता है विवादमहाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र के विवाद के बीच भारतीय पुरातत्व विभाग ने उसे ढंक दिया. इसे हटाने की मांग भी हुई. क्या आपको मालूम है कि मुगल सल्तनत के एक ताकतवर शहंशाह की मौत के नौ साल बाद उसकी कब्र आगरा से उखाड़ दी गई. अब उसका आगरा में कोई नामोनिशान भी नहीं है. आखिर क्या था वो मामला.भारत में कुल 20 मुगल बादशाह हुए, जिन्होंने 1526 से 1857 तक शासन किया. इस मुगल सल्तनत की शुरुआत बाबर के साथ हुई और सही मायनों में औरंगजेब तक चली. इसके बाद भी इस वंश के 13 बादशाह और हुए लेकिन वो बहुत कमजोर और इतने कठपुतली थे कि उनको कोई नहीं जानता. सबसे ताकतवर मुगल बादशाहों में एक ऐसा भी था, जिसकी मौत के 9 साल बाद उसकी कब्र उखाड़ दी गई. अब उसकी कब्र भारत में कहीं है ही नहींये मुगल बादशाह कोई और नहीं वो शख्स था, जिसने इस ताकतवर वंश की नींव भारत में रखी थी. ये शासक बाबर था. जो उज्बेकिस्तान में पैदा हुआ. बाबर की मौत 26 दिसंबर 1530 को आगरा में हुई. पहले उसे फिरोजाबाद में दफनाया गया.20वो ताकतवर मुगल बादशाह, 9 साल बाद उखाड़ दी गई जिसकी कब्र, अब नहीं भारत में नामोनिशां, क्यों किया ऐसाAuthor:संजय श्रीवास्तवLast Updated:March 20, 2025, 18:35 ISTसही मायनों में मुगल सल्तनत ने भारत पर पूरी ताकत के साथ करीब 200 साल शासन किया लेकिन उसकी मौजूदगी 331 सालों तक बनी रही. इसमें एक बार ऐसा भी हुआ जबकि ताकतवर एक मुगल बादशाह की कब्र को उखाड़ दिया गया.Follow us on Google NewsAdvertisementवो ताकतवर मुगल बादशाह, 9 साल बाद उखाड़ दी गई जिसकी कब्र, भारत में नहीं है अबहाइलाइट्सइस शहंशाह की कब्र मरने के बाद आगरा में बनाई गई थीइस शहंशाह की कब्र का अब आगरा में नामोनिशान भी नहींकिन दो मुगल शहंशाहों की कब्र पर लगातार होता है विवादमहाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र के विवाद के बीच भारतीय पुरातत्व विभाग ने उसे ढंक दिया. इसे हटाने की मांग भी हुई. क्या आपको मालूम है कि मुगल सल्तनत के एक ताकतवर शहंशाह की मौत के नौ साल बाद उसकी कब्र आगरा से उखाड़ दी गई. अब उसका आगरा में कोई नामोनिशान भी नहीं है. आखिर क्या था वो मामला.भारत में कुल 20 मुगल बादशाह हुए, जिन्होंने 1526 से 1857 तक शासन किया. इस मुगल सल्तनत की शुरुआत बाबर के साथ हुई और सही मायनों में औरंगजेब तक चली. इसके बाद भी इस वंश के 13 बादशाह और हुए लेकिन वो बहुत कमजोर और इतने कठपुतली थे कि उनको कोई नहीं जानता. सबसे ताकतवर मुगल बादशाहों में एक ऐसा भी था, जिसकी मौत के 9 साल बाद उसकी कब्र उखाड़ दी गई. अब उसकी कब्र भारत में कहीं है ही नहींये मुगल बादशाह कोई और नहीं वो शख्स था, जिसने इस ताकतवर वंश की नींव भारत में रखी थी. ये शासक बाबर था. जो उज्बेकिस्तान में पैदा हुआ. बाबर की मौत 26 दिसंबर 1530 को आगरा में हुई. पहले उसे फिरोजाबाद में दफनाया गया.संबंधित खबरेंऔरंगजेब को छोड़ सभी मुगल बादशाह खेलते थे होली, इसे कहते थे ‘ईद-ए-गुलाबी’औरंगजेब को छोड़ सभी मुगल बादशाह खेलते थे होली, इसे कहते थे ‘ईद-ए-गुलाबी’ताजमहल में दिखे भोलेनाथ, बोले- ‘मकबरा नहीं शिव मंदिर है’, सच सुन छाया सन्नाटाताजमहल में दिखे भोलेनाथ, बोले- ‘मकबरा नहीं शिव मंदिर है’, सच सुन छाया सन्नाटाऔरंगजेब के बाद अब उसकी कब्र की समाप्ति का वक्त, VHP ने कहा, 17 मार्च को…औरंगजेब के बाद अब उसकी कब्र की समाप्ति का वक्त, VHP ने कहा, 17 मार्च को…अब दिल्ली में अकबर पर कैसा बवाल? आधी रात को मां भवानी का नाम लेकर किसने चेतायाअब दिल्ली में अकबर पर कैसा बवाल? आधी रात को मां भवानी का नाम लेकर किसने चेताया9 साल बाद क्यों उखाड़ी गईबाबर की कब्र नौ साल बाद क्यों उखाड़ी गई. ये एक बड़ा सवाल है. वास्तव में बाबर ने अपने जीवनकाल में ये इच्छा जाहिर की थी कि उसे काबुल में दफनाया जाए. काबुल उसके लिए विशेष महत्व रखता था, क्योंकि वहां उसने 1504 से 1526 तक शासन किया था. इसे अपना आधार बनाया था. वह भारत को विजित क्षेत्र मानता था, लेकिन अपनी जड़ें मध्य एशिया (फरगना और काबुल) में देखता था.तब उसे आगरा में दफनाया गया थाजब बाबर की मृत्यु आगरा में हुई, तब उस समय उसको तुरंत आगरा में एक बाग (शायद चाहरबाग) में दफनाया गया. यह दफन अस्थायी था, क्योंकि मुगल परंपरा में शव को जल्दी दफनाने की प्रथा थी. उसकी अंतिम इच्छा पूरी की जाएगी या नहीं की जाएगी, ये तब साफ नहीं था.9 साल बाद कब्र तोड़ दी गईबाबर की कब्र को नौ साल बाद आगरा से निकाल कर काबुल ले जाने के पीछे कई व्यावहारिक और ऐतिहासिक कारण थे. बाबर की मृत्यु के बाद हुमायूं को गद्दी मिली, लेकिन उसका शासन शुरू से ही चुनौतियों से घिरा था. 1530 में जब बाबर की मृत्यु हुई, हुमायूं केवल 22 साल का था. उसे साम्राज्य को स्थिर करने में मुश्किलें आ रही थी.उसे गुजरात के बहादुर शाह और अफगान सरदार शेर शाह सूरी जैसे शत्रुओं का सामना करना पड़ रहा था. 1540 में शेर शाह ने हुमायूं को हराकर भारत से बाहर कर दिया था. ऐसे में बाबर की कब्र को काबुल ले जाना संभव नहीं था.उस समय आगरा से काबुल तक शव (या अवशेष) को ले जाना एक लंबी और जोखिम भरी प्रक्रिया थी. इसमें सैकड़ों मील की यात्रा, सुरक्षा व्यवस्था, और उचित सम्मान के साथ परिवहन की जरूरत थी. ये काम 1539-40 में तब शुरू हुआ, जब हुमायूं ने काबुल पर फिर से नियंत्रण हासिल किया.क्यों इतनी देर से हुआ ऐसाकुछ इतिहासकारों का मानना है कि बाबर की पत्नी या परिवार के अन्य सदस्यों (जैसे उनकी बहन खानजादा बेगम) ने जोर दिया कि बाबर की इच्छा के अनुसार उसके शव के अवशेष को काबुल में ले जाकर दफनाया जाए. हुमायूं की व्यस्तता के कारण यह देर से हो पाया.ये भी हो सकता है कि हुमायूं ने अपने पिता की स्मृति को सम्मान देने के लिए यह कदम तब उठाया, जब उसे लगा कि वह काबुल में स्थायी रूप से बाबर की कब्र स्थापित कर सकता है. बाबर की कब्र आज भी काबुल में बाग-ए-बाबर में स्थित. जहां इसके चारों ओर शानदार बाग है. यह अफगानिस्तान में मुगल इतिहास का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है.दूसरे मुगल बादशाहों की कब्र कहांहुमायूं का मकबरा दिल्ली मेंहुमायूं का मकबरा निजामुद्दीन, नई दिल्ली में है. ये यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. मुगल स्थापत्य का पहला बड़ा उदाहरण माना जाता है. इसे उनकी पत्नी हमीदा बानो बेगम ने बनवाया था.अकबर का मकबरा सिकंदरा मेंअकबर का मकबरा सिकंदरा आगरा में है. इसे अकबर ने अपने जीवनकाल में शुरू करवाया था, जिसे उनके बेटे जहांगीर ने पूरा किया. इसमें लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का प्रयोग हुआ है.जहांगीर का मकबरा लाहौर मेंजहांगीर का मकबरा लाहौर के शाहदरा में है, जो अब पाकिस्तान में है. भारत में जहांगीर की कोई कब्र नहीं है.शाहजहां की कब्र ताजमहल मेंशाहजहां की कब्र उसकी बेगम मुमताज महल के साथ ताजमहल में है. ये विश्व प्रसिद्ध स्मारक है. शाहजहां की कब्र भी अक्सर विवादों में रहती है.ताजमहल को लेकर दशकों से दावा किया जाता रहा है कि यह पहले एक हिंदू मंदिर (“तेजो महालय”) था. ये सिद्धांत इतिहासकार पी.एन. ओक ने 1960 के दशक में प्रस्तुत किया था, जिसे कुछ हिंदू संगठनों ने समर्थन दिया.2022 में, इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई जिसमें ताजमहल के 22 बंद कमरों को खोलने और वहां मूर्तियां होने की जांच की मांग की गई. कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया, लेकिन यह मुद्दा चर्चा में रहा. ताजमहल एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. पर्यटन का प्रमुख केंद्र है. ये हमेशा सांस्कृतिक और धार्मिक बहस का हिस्सा बना रहता है.औरंगजेब की मजारऔरंगजेब की मजार महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के खुल्दाबाद में है. अन्य मुगल बादशाहों के विपरीत ये कब्र सादगी भरी है.औरंगजेब के शासनकाल को हिंदू मंदिरों को तोड़ने, जजिया कर लागू करने और धार्मिक असहिष्णुता के आरोपों से जोड़ा जाता है. इस कारण कुछ हिंदूवादी संगठन, जैसे बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद उसकी मजार को “अत्याचार का प्रतीक” मानते हैं.बहादुर शाह जफर की मजार कहांअंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश ने निर्वासित कर दिया था. उनकी कब्र रंगून में एक छोटी मजार के रूप में है. भारत में उसकी कोई कब्र नहीं है.अन्य मुगल बादशाहों की कब्रें उतनी प्रसिद्ध नहीं हैं. और ये छोटे मकबरों या मजारों तक सीमित हैं, जिनका उल्लेख ही नहीं होता.

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