Amritpal Singh News: जेल में बंद कट्टरपंथी सिख उपदेशक और पंजाब के खडूर साहिब के सांसद अमृतपाल सिंह ने बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर संसद के चल रहे सत्र में भाग लेने की मांग की है. खालिस्तान समर्थक यह नेता इसलिए हाईकोर्ट के दरवाजे पर पहुंचे हैं ताकि सदन से लंबे समय तक अनुपस्थित रहने के कारण उन्हें अपनी सीट न गंवानी पड़े. अमृतपाल सिंह ने याचिका में कहा है कि जेल में बंद होने की वजह से वह संसद की कार्यवाही में भाग नहीं ले पा रहे हैं और उन्हें अनुपस्थित रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसके पीछे दुर्भावनापूर्ण मंशा यह है कि उनके संसदीय क्षेत्र को प्रतिनिधित्व से वंचित रखा जाए और 60 दिनों की अनुपस्थिति के बाद उनकी सीट रिक्त घोषित कर दी जाए.
एक रिपोर्ट के मुताबिक अपनी याचिका में सांसद ने कहा है कि लोकसभा के महासचिव की ओर से जारी समन के मुताबिक उनकी उपस्थिति जरूरी है और कहा कि उनकी गैरहाजिरी उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. अमृतपाल सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं. उन्हें अप्रैल 2023 से डिब्रूगढ़ जेल में हिरासत में रखा गया है. उन्होंने जेल से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता. लेकिन पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार अब तक उनकी उपस्थिति केवल दो फीसदी है
.क्या कहता है प्रावधान
अनुच्छेद 101(4) कहता है, “यदि संसद के किसी भी सदन का कोई सदस्य साठ दिनों की अवधि के लिए सदन की अनुमति के बिना सदन की सभी बैठकों से अनुपस्थित रहता है, तो सदन उसकी सीट को रिक्त घोषित कर सकता है.” हालाकि 60 दिनों में वह अवधि शामिल नहीं है, जिसके दौरान सदन को चार दिनों से अधिक लगातार स्थगित किया जाता है या स्थगित किया जाता है. प्रभावी रूप से, अनुपस्थिति की अवधि की गणना केवल संसद की वास्तविक बैठकों के आधार पर की जाती है. उदाहरण के लिए अमृतपाल सिंह ने लोकसभा की केवल एक बैठक में भाग लिया था. वह बैठक जिसमें उन्होंने पिछले साल जुलाई में शपथ ली थी. तब से, वह असम में हिरासत में हैं. इस प्रकार वह अब तक लगभग 50 बार अनुपस्थित रहे हैं. हालांकि, जैसा कि पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचार्य ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “उन्हें एक भी ऐसा मामला याद नहीं है जिसमें अनुच्छेद 101(4) का इस्तेमाल किया गया हो और परिणामस्वरूप किसी सांसद को अपनी सीट गंवानी पड़ी हो.”
छुट्टी मांग सकते हैं सांसद
अनुच्छेद 101(4) में प्रभावी शब्द है ‘सदन की अनुमति के बिना.’ लंबे समय तक अनुपस्थित रहने पर सांसद ‘सदन की बैठकों से सदस्यों की अनुपस्थिति संबंधी समिति’ को पत्र लिखते हैं, जो इस मुद्दे से निपटने वाला संसदीय पैनल है. समिति प्रत्येक छुट्टी आवेदन पर सिफारिश करती है, जिसे संबंधित सदन द्वारा अनुमोदित किया जाता है. हालांकि, व्यवहार में, आवेदनों को शायद ही कभी खारिज किया जाता है. आचार्य ने कहा, “एक सांसद के रूप में अमृतपाल सिंह को पैनल को लिखने और इस आधार पर अनुपस्थित रहने की अनुमति मांगने का पूरा अधिकार है कि वह जेल में है और उसे जमानत नहीं मिल रही है.” पिछली छुट्टी आवेदन रिपोर्टों में बीमारी को (खुद की या किसी रिश्तेदार की) छुट्टी दिए जाने का सबसे आम कारण बताया गया है. हालांकि, सदस्यों ने जेल में होने के कारण भी छुट्टी मांगी है और उन्हें छुट्टी दी गई है.अतुल राय को भी मिली थी इजाजत
2023 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के घोसी से तत्कालीन सांसद अतुल राय ने संसद की लगातार 23 बैठकों में अनुपस्थित रहने की अनुमति मांगी थी, क्योंकि वह जेल में थे. उनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया था. अगर कोई सांसद 60 दिनों से ज्यादा समय तक अनुपस्थित रहता है, तो भी सदन को सीट को ‘खाली’ घोषित करना पड़ता है. यानी मामले को मतदान के लिए रखा जाना चाहिए. इससे यह संभावना और भी कम हो जाती है कि अमृतपाल सिंह सिर्फ इसलिए अपनी सीट खो देंगे क्योंकि वह कार्यवाही में शामिल नहीं हो पा रहे हैं.