नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली में हाईकोर्ट के पूर्व जज (अब इलाहाबाद हाईकोर्ट) के घर कैश का जखीरा मिलने के बाद न्यायपालिका के साथ ही सियासी गलियारों तक में खलबली मच गई. जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर आग बुझाने गई टीम को उनके घर के एक कमरे में बड़ी मात्रा में कैश मिली थी. आग के चलते नकदी जल गई थी. मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए पैनल बनाया था. पैनल ने कई अफसरों से इस बाबत पूछताछ की है, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, जिन सीनियर अफसरों से पूछताछ की गई, उन्होंन जस्टिस वर्मा के आवास में बड़ी मात्रा में कैश होने की पुष्टि की है. साथ ही मौके पर बनाए गए वीडियो क्लिप का डिलीट करने की वजह भी बताई है. बता दें कि जस्टिस वर्मा पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें नहीं पता कि उनके घर में इतना कैश कहां से आया.जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में जले हुए नोट मिलने के मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों का पैनल गठित किया है. इन्क्वायरी पैनल की पूछताछ में दिल्ली पुलिस के सीनियर अफसरों ने जस्टिस वर्मा के आवास से कैश मिलने की पुष्टि की है. जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने कैश जब्त क्यों नहीं किया था? इसके जवाब में आलाधिकारियों ने मौजूद नियमों का हवाला दिया. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपेार्ट के अनुसार, इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी, जिस वजह से कैश को जब्त नहीं किया जा सका था. अफसरों ने बताया कि जस्टिस वर्मा के घर में आग लगने की घटना के प्रत्यक्षदर्शी पुलिसकर्मियों की ओर से इस मामले में प्रक्रिया का पालन किया गया. उन्होंने जस्टिस वर्मा के आवास में कैश मिलने की जानकारी पहले अपने सीनियर अफसरों को दी, जिन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इसकी सूचना दी. दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को बताया गया कि 14 मार्च 2025 की रात में क्या हुआ था.वीडियो क्लिप क्यों डिलीट किया?तीन जजों के इन्क्वायरी पैनल ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर संजय अरोड़ा, नई दिल्ली जिला के डीसीपी देवेश महाला समेत अन्य से पूछताछ की है. सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने मोबाइल फोन से कैश मिलने वाले वीडियो को डिलीट करने की वजह के बारे में भी पूछा.सूत्रों ने बताया कि पैनल को बताया गया कि सीनियर अफसरों के निर्देश पर वीडियो को मोबाइल फोन से डिलीट किया गया था. इसका उद्देश्य वीडियो के गलत हाथों में जाने से रोकना था. अफसरों ने कमेटी को यह भी बताया कि इस मामल में पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया, क्योंकि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से राय-मशवरा किए बगैर केस दर्ज नहीं किया जा सकता है. ऐसे में जूनियर पुलिस अफसरों ने अपने सीनियर को इसके बारे में जानकारी दी थी, जिन्होंने इसकी सूचना दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीके उपाध्याय को दी थी. उन्होंने इस घटना की जानकारी सीजेआई संजीव खन्ना को दी. पुलिस अफसरों ने पैनल को इस पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी.जस्टिस वर्मा ने क्या कहा थादिल्ली पुलिस और फायर सर्विस के फर्स्ट रिस्पांडर समेत सीपी संजय अरोड़ा और दिल्ली फायर सर्विस चीफ अतुल गर्ग ने कमेटी को बताया कि जस्टिस वर्मा के आवास के स्टोर रूम में कैश था. बता दें कि जस्टिस वर्मा के आवास में 14 मार्च की रात में आग लगी थी. घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए तीन जजों की कमेटी बनाई जिसमें पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरमण शामिल हैं. बता दें कि इससे पहले जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को अपनी सफाई दी थी. उन्होंने कहा था, ‘जब आधी रात के आसपास आग लगी, तो मेरी बेटी और मेरे निजी सचिव ने फायर सर्विस को सूचित किया, जिनकी कॉल विधिवत रिकॉर्ड की गई. आग बुझाने के के दौरान सभी कर्मचारियों और मेरे घर के सदस्यों को सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर घटनास्थल से दूर जाने के लिए कहा गया था. आग बुझने के बाद जब वे घटनास्थल पर वापस गए, तो उन्होंने मौके पर कोई नकदी नहीं देखी.’ जस्टिस वर्मा ने अपने आवास पर कैश होने की बात से इनकार किया है.