वक्फ संशोधित कानून पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बाया यूजर और रजिस्टर्ड वक्फ संपत्तियों को न छूने के लिए कहा है. लेकिन तमाम ऐसी संपत्तियां होंगी, जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं होगा, कोई दस्तावेज नहीं होगा. उनका इस आदेश के तहत क्या होगा? क्या सरकार उस पर कार्रवाई कर सकती है? ऐसी जमीनों के कागज दिखाने के लिए कह सकती है? तो सुप्रीम कोर्ट के ही एक वकील ने इसके बारे में बताया है. उन्होंने कहा कि सीजेआई ने एक ऐसी लकीर खींच दी है, जिससे सरकार खुश होगी. क्योंकि ऐसी संपत्तियों पर कार्रवाई करने से सरकार को नहीं रोका गया है. सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी बार-बार सीजेआई को इसी के बारे में बताने की कोशिश करते दिखे थे. एक अनुमान के मुताबिक- वक्फ बोर्ड के पास 4,36,169 ऐसी संपत्तियां हैं, जिनका कोई रिकार्ड नहीं है.सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एडवोकेट बरुण कुमार सिन्हा ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कानून पर रोक नहीं लगाई है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खुद कोर्ट से कहा कि आप कोई आदेश न दें. 7 दिन के अंदर हम जवाब पेश कर देंगे. तब तक नए वक्फ कानून के तहत वक्फ बोर्ड या वक्फ परिषद में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में भी लिखा है कि सरकार अगली तारीख तक उन संपत्तियों (वक्फ-बाय-यूजर) को डी-नोटिफाई नहीं करेगी जो रजिस्टर्ड और गजटेड हैं. हालांकि, सरकार अन्य संपत्तियों पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है. इससे लगता है कि ऐसी संपत्ति जो रजिस्टर्ड नहीं है और वक्फ बाया यूजर है, तो उससे कागजात मांगे जा सकते हैं. हालांकि, इसके बारे में स्पष्टता अगली सुनवाई में ही आने की उम्मीद है.‘वक्फ बाय डीड’ का क्या मतलब?केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया कि वह अगली सुनवाई तक ‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूजर’ को डिनोटिफाइ यानी गैर-अधिसूचित नहीं करेगी. लेकिन ‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूजर’ का क्या मतलब क्या है? इसे ऐसे समझें, जब कोई व्यक्ति (अमूमन मुस्लिम) कानूनी दस्तावेज बनाकर अपनी संपत्ति को धार्मिक या परोपकारी उद्देश्य के लिए समर्पित कर देता है, तो उसे ‘वक्फ बाय डीड’ कहा जाता है. यह वक्फनामे (waqf deed) के रूप में लिखित होता है. यह संपत्ति रजिस्टर्ड हो सकती है. वक्फ करने वाले व्यक्ति को मुतवल्ली कहा जाता है.वक्फ बाय यूजर’ क्या है?जब कोई संपत्ति लंबे समय से समुदाय द्वारा धार्मिक या परोपकारी कामों के लिए इस्तेमाल की जा रही हो, तो उसे ‘वक्फ बाय यूजर’ माना जाता है, भले ही कोई दस्तावेज मौजूद न हो. सबसे बड़ी बात, यह लिखित नहीं होता, हालांकि यह कब से इस्तेमाल हो रहा, इसका रिकॉर्ड होता है. ज्यादातर पुरानी मस्जिदें, कब्रिस्तान, दरगाहें इसी में आती हैं. इसका रजिस्ट्रेशन हो, यह जरूरी नहीं.