Explained: ‘कलमे की बुनियाद पर पाकिस्तान…’ मुसलमानों के लिए मदीना और कलमा कितना अहम? असीम मुनीर की बात समझिए

पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर का एक बयान सुर्खियाों में है. उन्होंने पाकिस्तान की तुलना मदीना से करते हुए कहा कि उनका देश भी कलमे की बुनियाद पर बना है. ओवरसीज पाकिस्तानियों के पहले सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने कहा, ‘आजतक इंसानियत की तारीख में बस दो रियासतें हैं, जो कलमें की बुनियाद पर बनी हैं. पहली रियासते तैयबा थी, तैयबा को हमारे नबी ने नाम दिया था. कुरान में उसका नाम यस्रिब है… आज उसको मदीना कहा जाता है. और, दूसरी रियासत उसके 1300 साल के बाद अल्लाह ने आपकी (पाकिस्तान) बनाई है, कलमे की बुनियाद के ऊपर.’ऐसे में यह सवाल उठता है कि जिस ‘कलमे’ की बात असीम मुनीर कर रहे हैं, वह इस्लाम में क्या मायने रखता है और क्या वाकई पाकिस्तान की बुनियाद उसी कलमे पर रखी गई थी?इस्लाम का पहला स्तंभ कलमाइस्लाम के पांच बुनियादी स्तंभों में से पहला है ‘कलमा’… जिसे कलमा-ए-तैय्यबा कहा जाता है. ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मदुर रसूलुल्लाह यानी अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, और मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं… यह एकेश्वरवाद (तौहीद) और पैगंबर मुहम्मद की नबूवत को स्वीकार करने का प्रतीक है. यह इस्लाम में आस्था की पहली शर्त है और हर मुस्लिम के लिए अनिवार्य है.जब भारत से अलग पाकिस्तान की मांग उठी, तो मुस्लिम लीग के नेताओं ने इसे ‘इस्लामिक पहचान’ की रक्षा का नाम दिया. कहा गया कि मुसलमानों को एक ऐसा मुल्क चाहिए, जहां वो अपने मजहबी उसूलों के मुताबिक जिंदगी बसर कर सकें. इसी तर्क को ‘कलमे’ से जोड़कर बताया गया कि पाकिस्तान की नींव एक धार्मिक आइडेंटिटी पर रखी गई है.मदीना शहर का इतिहास और मुस्लिमों के लिए अहमियत?सऊदी अरब में स्थित मदीना शहर इस्लामिक इतिहास और मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद पवित्र स्थान रखता है. इसे पैगंबर मुहम्मद ने इस्लामी समुदाय का केंद्र बनाया, और यह इस्लाम के शुरुआती विकास का गवाह है. 622 ईस्वी में पैगंबर मुहम्मद ने मक्का में उत्पीड़न के कारण हिजरत (प्रवास) की और यस्रिब में शरण ली थी. उनके आगमन के बाद शहर का नाम बदलकर मदीनत-उन-नबी (पैगंबर का शहर) या मदीना हो गया. पैगंबर मुहम्मद के इसी तरह मक्का से मदीना की हिजरत ही इस्लामी हिजरी कैलेंडर की शुरुआत का आधार है. यही वजह है कि मुस्लिमों के लिए यह मक्का के बाद दूसरा सबसे पवित्र शहर बना जाता है.असीम मुनीर के बयान के मायने क्या?असीम मुनीर के इस तरह पाकिस्तान की स्थापना को ‘कलमे की बुनियाद’ और मुस्लिमों के पवित्र शहर मदीना से जोड़ना अपने देश के अस्तित्व को धार्मिक वैधता देने की कोशिश करने के रूप में देखा जा रहा है. खासकर तब जब देश आतंरिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और अलगाववादी आंदोलनों से जूझ रहा हो. बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में उठती आवाज़ों के बीच सेना प्रमुख का यह बयान एक ‘धार्मिक एकता’ का भाव जगाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा सकता है.असीम मुनीर के आगे के बयान से भी इसे समझा जा सकता है, जिसमें उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि पाकिस्तान की कहानी अपने बच्चों को आपको जरूर सुनानी है, ताकि वो पाकिस्तान की कहानी न भूलें. उन्होंने कहा, ‘मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, बेटों और बेटियों, पाकिस्तान की कहानी को मत भूलिए और इस पाकिस्तान की कहानी को अपनी अगली पीढ़ियों को जरूर सुनाइए, ताकि उनका पाकिस्तान से जुड़ाव कभी कमजोर न हो- चाहे वह तीसरी पीढ़ी हो, चौथी या फिर पांचवीं- उन्हें यह पता होना चाहिए कि पाकिस्तान उनके लिए क्या है.’

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