ज‍िस तमिलानाडु में सनातन के ख‍िलाफ उठी आवाज, वहीं से पीएम मोदी ने भरी ‘राम’ की हुंकार, क्‍या बज पाएगा जीत का डंका?

तमिलानाडु देश का एक ऐसा राज्‍य है, जहां के नेता गाहे-बगाहे सनातन के ख‍िलाफ बोलते रहते हैं. कई बार तो ऐसे-ऐसे शब्‍द सुने गए हैं जो दूसरे धर्म के लोगों को भी पसंद नहीं आएंगे. लेकिन अब इसी धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘राम’ की हुंकार भरी है. पहले श्रीलंका में तमिलों के प्रमुख मंद‍िर अनुराधापुरम गए फ‍िर रामसेतु वाली जगह से पंबन ब्रिज की सौगात दी. लेक‍िन क्‍या तमिलनाडु में बीजेपी कभी सत्ता की कुर्सी तक पहुंच पाएगी?युवा और आक्रामक नेता के. अन्नामलाई के कमान संभालने के बाद बीजेपी ने राज्य में अपनी मौजूदगी बढ़ाई है, लेकिन द्रविड़ दलों की मजबूत जड़ों को चुनौती देना अभी भी एक पहाड़ जैसा काम है. अन्नामलाई के आने के बाद क्या बदला और क्या बीजेपी 2026 के विधानसभा चुनाव या भविष्य के लोकसभा चुनावों में जीत का परचम लहरा पाएगी? इसे हम आंकड़ों के जर‍िए समझने की कोश‍िश करते हैं.5 साल में चार गुना हुआ वोट, फ‍िर भी…2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तमिलनाडु में अन्‍नाद्रमुक यानी AIADMK के साथ गठबंधन में 5 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई. उसका वोट शेयर मात्र 3.66% रहा, जो नोटा के 3.77% से भी कम था. डीएमके-कांग्रेस गठबंधन ने 38 सीटें जीतकर दबदबा बनाया था.2021 के विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके के साथ गठबंधन में बीजेपी ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 4 सीटें कन्याकुमारी, कोयंबटूर साउथ, तिरुनेलवेली, और नमक्कल जीत लीं. वोट शेयर भी 2.62% हो गया. गठबंधन को कुल 33.29% वोट मिले, लेकिन सत्ता डीएमके के हाथों में चली गई, जिसने 37.7% वोट और 133 सीटें हासिल कीं थीं.2024 के लोकसभा में चुनाव अन्नामलाई के नेतृत्व में बीजेपी ने पहली बार बड़े पैमाने पर अकेले दम पर लड़ाई लड़ी. पार्टी ने 19 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और NDA के साथ मिलकर 23 सीटों पर चुनाव लड़ा. हालांकि कोई सीट नहीं जीती, लेकिन वोट शेयर 11.1% तक पहुंच गया. इसे एक मजबूत छलांग माना गया.कोयंबटूर में अन्नामलाई ने 4.5 लाख वोट हासिल किए, लेकिन डीएमके के गणपति राजकुमार से 1.18 लाख वोटों से हार गए. डीएमके- इंडिया अलायंस ने फिर 39 में से 39 सीटें जीतकर बीजेपी की राह मुश्किल बना दी.अन्नामलाई का क‍ितना प्रभाव2019 से 2024 के बीच बीजेपी का वोट शेयर 3.66% से बढ़कर 11.1% तक पहुंचना अन्नामलाई की मेहनत का नतीजा माना जा रहा है. पूर्व IPS अधिकारी अन्नामलाई ने एन मन एन मक्कल (मेरी मिट्टी, मेरे लोग) यात्रा के जरिए 234 विधानसभा क्षेत्रों में पैदल मार्च किया, जिसने बीजेपी को शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में चर्चा में ला दिया. उनकी आक्रामक शैली और डीएमके पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने पार्टी को एक नई पहचान दी. कोयंबटूर, चेन्नई, और नीलगिरी जैसे क्षेत्रों में बीजेपी ने एआईएडीएमके को पीछे छोड़कर दूसरा स्थान हासिल किया, जो सबके ल‍िए चौंकाने वाला था. अब एक बार फ‍िर एआईएडीएमके और बीजेपी साथ आने की कोश‍िश कर रहे हैं, जिससे अन्‍नामलाई नाराज बताए जाते हैं.बीजेपी के सामने चुनौतियां1_ तमिलनाडु में द्रविड़ विचारधारा और तमिल अस्मिता की जड़ें गहरी हैं. डीएमके और एआई एडीएमके ने दशकों से इस भावना को भुनाया है. आज भी सनातन विरोध का बिगुल फूंका जा रहा है. बीजेपी का हिंदुत्व और सनातन का नैरेटिव यहां उतना असर नहीं छोड़ पाया. खासकर ग्रामीण इलाकों में अभी द‍िक्‍कतें हैं.2_ बिना किसी बड़े द्रविड़ दल के साथ गठबंधन के बीजेपी का सीटें जीतना मुश्किल है. 2024 में पीएमके और छोटे दलों के साथ गठबंधन से वोट शेयर तो बढ़ा, लेकिन सीटों में तब्दील नहीं हुआ. बीजेपी को अनुसूचित जाति (SC) और ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंच बनाने में नाकामी मिली.3_ हिंदी और केंद्रीकृत नीतियों का विरोध तमिलनाडु में बीजेपी के खिलाफ एक बड़ा हथियार है. डीएमके इसे दक्ष‍िण विरोध के रूप में पेश करती है. एक्‍सपर्ट का मानना है क‍ि अन्नामलाई ने बीजेपी को 10-11% वोट शेयर तक पहुंचाया, जो एक उपलब्धि है. लेकिन डीएमके को चुनौती देने के लिए 20-25% वोट शेयर और एआईएडीएमके जैसे मजबूत सहयोगी की जरूरत है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!