20खुद NSE के सीईओ ने दी जिससे दूर रहने की सलाह, क्या होती है वह डेरिवेटिव ट्रेडिं के सीईओ आशीष चौहान ने खुदरा निवेशकों को डेरिवेटिव ट्रेडिंग से दूर रहने की सलाह दी है, क्योंकि यह जटिल और जोखिम भरी होती है. उन्होंने सोशल मीडिया टिप्स पर भरोसा न करने की भी चेतावनी दी है. विशेषज्ञो…और खुद NSE के सीईओ ने दी जिससे दूर रहने की सलाह, क्या होती है डेरिवेटिव ट्रेडिंगआशीष चौहान ने एक कार्यक्रम में यह बात कही.हाइलाइट्सNSE के सीईओ ने खुदरा निवेशकों को डेरिवेटिव ट्रेडिंग से दूर रहने की सलाह दी.डेरिवेटिव ट्रेडिंग जटिल और जोखिम भरी होती है.सोशल मीडिया टिप्स पर भरोसा न करने की चेतावनी दी गई है.नई दिल्ली. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर आशीष चौहान ने खुदरा (रिटेल) निवेशकों को डेरिवेटिव ट्रेडिंग से दूर रहने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि यह ट्रेडिंग काफी जटिल होती है और इसे समझे बिना इसमें पैसा लगाना नुकसानदायक हो सकता है. बिजनेस टुडे माइंडरश 2025 इवेंट में बोलते हुए चौहान ने कहा, “अगर आप किसी वित्तीय साधन (instrument) को नहीं समझते हैं, तो उसमें निवेश न करें. खासतौर पर खुदरा निवेशकों के लिए डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग सही जगह नहीं है.”इसके साथ ही उन्होंने बाजार से जुड़े टिप्स और सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं पर भरोसा न करने की भी सलाह दी. उन्होंने कहा, “पॉप सर्किट, मैसेज या वॉट्सऐप ग्रुप में आने वाली बातों को मनोरंजन समझें, निवेश की सलाह नहीं.” दरअसल, हाल ही में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि खुदरा निवेशकों को फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग में लगातार नुकसान हो रहा है. इस नुकसान को कम करने और निवेशकों को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कई नए नियम लागू किए हैं. चौहान का यह बयान उन निवेशकों के लिए एक चेतावनी की तरह है जो जल्द मुनाफा कमाने के चक्कर में बिना समझे डेरिवेटिव्स में पैसा लगाते हैं. विशेषज्ञ भी मानते हैं कि हाई-रिस्क ट्रेडिंग की बजाय बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश करना ज्यादा फायदेमंद होता है.ये भी पढ़ें- श्रीलंका का हितैषी बनने चला था चीन! भारत के एक दांव से डूब गए 60000 करोड़, अब ड्रैगन पीट रहा घाटे का ढोलसंबंधित खबरेंनोएडा और ग्रेनो में महंगा होने वाला है घर! 1 अप्रैल से बढ़ जाएंगे सर्कल रेटनोएडा और ग्रेनो में महंगा होने वाला है घर! 1 अप्रैल से बढ़ जाएंगे सर्कल रेटश्रीलंका का हितैषी बनने चला था चीन! भारत के एक दांव से डूब गए 60000 करोड़श्रीलंका का हितैषी बनने चला था चीन! भारत के एक दांव से डूब गए 60000 करोड़UPS: सबको नहीं मिलेगी 50 परसेंट पेंशन, सिर्फ ये लोग ही होंगे हकदारUPS: सबको नहीं मिलेगी 50 परसेंट पेंशन, सिर्फ ये लोग ही होंगे हकदारअर्श से फर्श पर : एक ट्वीट ने इस अरबपति का डूबो दिया बिजनेसअर्श से फर्श पर : एक ट्वीट ने इस अरबपति का डूबो दिया बिजनेसक्या होती है डेरिवेटिव ट्रेडिंगडेरिवेटिव (Derivative) एक वित्तीय साधन (financial instrument) है, जिसकी कीमत किसी अन्य एसेट (जैसे स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी, बॉन्ड या इंडेक्स) पर आधारित होती है. यानी इसका मूल्य उस एसेट के बाजार मूल्य से प्रभावित होता है. डेरिवेटिव ट्रेडिंग में निवेशक सीधे स्टॉक्स खरीदने-बेचने के बजाय उनके भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं.डेरिवेटिव्स के प्रमुख प्रकारफ्यूचर्स (Futures) – इसमें खरीदार और विक्रेता भविष्य की किसी निश्चित तारीख पर तय कीमत पर एसेट खरीदने या बेचने का करार करते हैं.ऑप्शंस (Options) – इसमें निवेशक को किसी एसेट को भविष्य में एक निश्चित कीमत पर खरीदने या बेचने का अधिकार (लेकिन बाध्यता नहीं) मिलता है. इसमें दो तरह के ऑप्शंस होते हैं:कॉल ऑप्शन (Call Option) – किसी एसेट को भविष्य में खरीदने का अधिकार.पुट ऑप्शन (Put Option) – किसी एसेट को भविष्य में बेचने का अधिकार.डेरिवेटिव ट्रेडिंग में जोखिम क्यों ज्यादा होता है?उच्च अस्थिरता (High Volatility): चूंकि डेरिवेटिव्स की कीमतें स्टॉक्स और मार्केट सेंटिमेंट पर निर्भर करती हैं, इसलिए इनमें बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है.लीवरेज (Leverage): इसमें कम पैसे लगाकर ज्यादा एक्सपोजर मिलता है, लेकिन अगर बाजार उल्टा चलता है तो बड़ा नुकसान भी हो सकता है.समय की सीमा (Time Decay): ऑप्शंस में समय बीतने के साथ उनका मूल्य कम होता जाता है, जिससे नुकसान की संभावना बढ़ती है.डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग कौन करता है?हेजर्स (Hedgers): ये निवेशक अपने जोखिम को कम करने के लिए डेरिवेटिव्स का उपयोग करते हैं, जैसे कंपनियां करेंसी या कमोडिटी के दाम में उतार-चढ़ाव से बचने के लिए फ्यूचर्स का इस्तेमाल करती हैं.स्पेकुलेटर्स (Speculators): ये लोग भविष्य में कीमतों की दिशा का अनुमान लगाकर मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं.आर्बिट्रेजर्स (Arbitragers): ये निवेशक अलग-अलग बाजारों में कीमतों के अंतर का फायदा उठाकर मुनाफा कमाते हैं.क्या है REIT, निवेश से कितना फायदाक्या है REIT, निवेश से कितना फायदाआगे देखेंक्या खुदरा निवेशकों को इसमें ट्रेडिंग करनी चाहिए?NSE के सीईओ आशीष चौहान के मुताबिक, खुदरा निवेशकों को डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग से बचना चाहिए, क्योंकि यह बहुत जटिल होती है और इसमें नुकसान की संभावना ज्यादा रहती है. विशेषज्ञों का भी मानना है कि लॉन्ग-टर्म निवेश की तुलना में डेरिवेटिव ट्रेडिंग में ज्यादा रिस्क होता है, इसलिए बिना पूरी जानकारी के इसमें पैसा लगाना नुकसानदेह हो सकता है.टॉप वीडियोसभी देखेंtags :Business newsShare marketLocation NSE के सीईओ ने दी जिससे दूर रहने की सलाह, क्या होती है डेरिवेटिव ट्रेडिंगnext articleनोएडा और ग्रेनो में महंगा होने वाला है घर! 1 अप्रैल से बढ़ जाएंगे सर्कल रेट, अब कितना बढ़ जाएगा जमीन का : गौतमबुद्ध नगर प्रशासन ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण से 1 अप्रैल से सर्कल रेट बढ़ाने की बात कही है. इसके बाद जिले में मकान और जमीन खरीदना महंगा ह…और पढ़ेंFollow us on Google Newsनोएडा और ग्रेनो में महंगा होने वाला है घर! 1 अप्रैल से बढ़ जाएंगे सर्कल रेटहाइलाइट्सनोएडा और ग्रेटर नोएडा में 1 अप्रैल से सर्कल रेट बढ़ेंगे.सर्कल रेट 30% से 70% तक बढ़ सकते हैं.मकान और जमीन खरीदना महंगा हो जाएगा.नई दिल्ली. अगर आप भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अपना घर या जमीन खरीदने की सोचा रहे तो मार्च खत्म होने से पहले ही यह सपना पूरा कर लीजिए. 1 अप्रैल से गौतमबुद्ध नगर जिले में नया सर्कल रेट लागू होने वाला है. इसके बाद जमीन और मकानों की कीमतों में बढ़ोतरी होना तय है. लिहाजा जिले में प्रॉपर्टी खरीदने की तैयारी में हैं तो आपको थोड़ा जल्दी करना चाहिए, ताकि अप्रैल से होने वाली बढ़ोतरी से बचा जा सके.अधिकारियों ने बताया कि गौतम बुद्ध नगर प्रशासन 1 अप्रैल से सर्कल रेट बढ़ाने की तैयारी है, जिसने घर खरीदने वालों की चिंता बढ़ा दी है. सर्कल रेट वह दर होती है जिस पर संपत्ति खरीदने वाला सरकार को स्टांप शुल्क अदा करता है. नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरणों ने सभी प्रकार की संपत्तियों के लिए आवंटन दरें बढ़ा दी हैं. इन प्राधिकरणों द्वारा संपत्ति बेचने की दरें बढ़ाने के बाद, उत्तर प्रदेश स्टांप और पंजीकरण विभाग जिले में सभी श्रेणियों, विशेष रूप से आवासीय और कृषि भूमि के लिए दरें बढ़ाने पर विचार कर रहा है.ये भी पढे़ं – NPS में फिर होगा बदलाव! कर्मचारियों को मिलेगी OPS जैसी सुरक्षा, लागू होंगे पुरानी पेंशन वाले नियमसंबंधित खबरेंखुद NSE के सीईओ ने दी जिससे दूर रहने की सलाह, क्या होती है डेरिवेटिव ट्रेडिंगखुद NSE के सीईओ ने दी जिससे दूर रहने की सलाह, क्या होती है डेरिवेटिव ट्रेडिंगश्रीलंका का हितैषी बनने चला था चीन! भारत के एक दांव से डूब गए 60000 करोड़श्रीलंका का हितैषी बनने चला था चीन! भारत के एक दांव से डूब गए 60000 करोड़UPS: सबको नहीं मिलेगी 50 परसेंट पेंशन, सिर्फ ये लोग ही होंगे हकदारUPS: सबको नहीं मिलेगी 50 परसेंट पेंशन, सिर्फ ये लोग ही होंगे हकदारअर्श से फर्श पर : एक ट्वीट ने इस अरबपति का डूबो दिया बिजनेसअर्श से फर्श पर : एक ट्वीट ने इस अरबपति का डूबो दिया बिजनेसपहले घर खरीदने वाले चिंतितसर्कल बढ़ाने की बात से सालों पहले घर खरीदने वाले भी चिंतित हैं. इन मकान खरीदारों को कई साल से अपने पजेशन का इंतजार है और अब जबकि सर्कल रेट भी बढ़ जाएगा तो उन्हें इस पर ज्यादा पैसा चुकाना होगा. जेआईएल रियल एस्टेट अलॉटीज वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष आशीष मोहन गुप्ता का कहना है कि घर खरीदार पिछले 12 साल से अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं. सर्कल रेट में हर बदलाव हमारे स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन पर खर्च को बढ़ा देता है, जिससे हमारा वित्तीय बोझ बढ़ जाता है. सरकार को एक नीति बनानी चाहिए कि जिस साल में संपत्ति खरीदी गई थी, उस समय का ही सर्कल रेट लागू होना चाहिए.क्यों बढ़ा रहे सर्कल रेटअधिकारियों कहा कहना है कि इस कदम का उद्देश्य सर्कल रेट को बाजार दर के बराबर बढ़ाना है, क्योंकि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र में संपत्ति की कीमतों में काफी उछाल आ चुका है. नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के प्रभाव के कारण रियल एस्टेट की कीमतें आसमान छू गई हैं.कितना बढ़ेगा सर्कल रेटसूत्रों का कहना है कि गौतम बुद्ध नगर जिले में सर्कल रेट 30 से 70% तक बढ़ सकते हैं. नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आवासीय सर्कल रेट में 30% तक की वृद्धि हो सकती है, जबकि जेवर क्षेत्र में कृषि भूमि के सर्कल रेट 70% तक बढ़ाए जा सकते हैं. डीएम का कहना है कि इसे अंतिम रूप देने से पहले आम जनता से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक डोमेन में डाला जाएगा. हम जनता को अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए 15 दिन का समय देंगे और फिर अंतिम निर्णय लेंगे.FII और DII क्या होते हैं, बाजार पर इनका क्या प्रभाव पड़ता है?FII और DII क्या होते हैं, बाजार पर इनका क्या प्रभाव पड़ता है?आगे देखेंमकान खरीदारों की अलग डिमांडनोएडा के प्रोजेक्ट में मकान खरीदने वाले ग्राहक का कहना है कि अगर संशोधित दरें मंजूर हो जाती हैं, तो संपत्ति खरीदने वालों को अधिक स्टांप शुल्क का सामना करना पड़ेगा, जिससे कुल लेन-देन की लागत बढ़ जाएगी. लिहाजा प्रशासन को उन खरीदारों को पुरानी दरों पर स्टांप शुल्क का भुगतान करने की अनुमति देनी चाहिए, जिन्होंने डेवलपर्स की गलती के कारण कब्जा नहीं पाया है या रजिस्ट्री में देरी हुई है.टॉप वीडियोसभी देखेंtags :Business newsPrice of any propertyProperty marketLocation :New Delhi,DelhiFirst Published :March 22, 2025, 17:13 ISThomebusinessनोएडा और ग्रेनो में महंगा होने वाला है घर! 1 अप्रैल से बढ़ जाएंगे सर्कल रेटnext articleश्रीलंका का हितैषी बनने चला था चीन! भारत के एक दांव से डूब गए 60000 करोड़, अब ड्रैगन पीट रहा घाटे का चीन ने श्रीलंका को अपने पाले में लाने के लिए जो दांव खेला था, अब उसे ही भारी पड़ने लगा है और 60 हजार करोड़ रुपये का नुकसान भी हो गया. उसकी मंशा श्रीलंका को भारत के खिलाफ खड़…और पढ़ेंFollow us on Google Newsश्रीलंका का हितैषी बनने चला था चीन! भारत के एक दांव से डूब गए 60000 करोड़चीन को श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन से 60,000 करोड़ का नुकसान हुआ.हाइलाइट्सचीन को श्रीलंका में 60 हजार करोड़ का नुकसान हुआ.भारत के एक दांव से चीन की चाल फेल हो गई.चीन ने श्रीलंका के कर्ज का पुनर्गठन किया.नई दिल्ली. चीन के भारत के सभी पड़ोसी देशों को अपने साथ मिलाने के लिए लालच का जो खेल रचा था, उसका खामियाजा खुद भुगतना शुरू हो गया है. पाकिस्तान और नेपाल के बाद चीन की निगाह श्रीलंका को भी अपनी तरफ लाने की थी और इसके लिए ड्रैगन ने कर्ज का जाल भी बिछा दिया था. लेकिन, भारत के वापस कदम रखते ही चीन की चाल फेल हो गई और उसे हजारों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है.श्रीलंका के सरकारी समाचार पत्र ‘डेली न्यूज’ ने चीन के राजदूत क्यूई झेनहोंग के हवाले से इसकी जानकारी दी है. उसका कहना है कि श्रीलंका के बाहरी कर्ज के पुनर्गठन से चीन को सात अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 60 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है. चीन के राजदूत क्यूई झेनहोंग के हवाले से खबर में कहा कि चीन अक्टूबर 2023 में पुनर्गठन समझौता करने वाला श्रीलंका का पहला द्विपक्षीय ऋणदाता था.