नई दिल्ली. यूएस द्वारा भारत समेत दुनिया के अन्य देशों के उत्पादों पर लगाए जा रहे टैरिफ की खबरों के बीच एक नई जानकारी सामने आ रही है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत और यूएस द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बाइलेट्रल ट्रेड एग्रीमेंट) को लेकर चर्चा कर रहे हैं. मंत्रालय के अनुसार, भारत सरकार कई स्तर पर अमेरिका के साथ वार्ता कर रही है. पिछले महीने भी सरकार की ओर से इसके बारे में जानकारी दी गई थी और कहा गया था कि अगले 8-9 महीने में इसके पहले चरण को लागू कर दिया जाएगा. अब एक बार फिर सरकार ने इसकी पुष्टि कर दी है.भारत और यूएस के बीच ट्रेड एग्रीमेंट होता है तो इसका फायदा क्या होगा? ट्रेड एग्रीमेंट होता है क्या है और इस समझौते का असर भारत पर यूएस द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ में क्या कोई बदलाव होगा. ये ऐसे कुछ सवाल हैं जो आपके मन में उठ रहे होंगे. आइए इनके बारे में एक-एक कर जानने का प्रयास करते हैं.ये भी पढ़ें- महंगी पड़ेगी मेट्रो के पास दुकान, 500 मीटर के दायरे में है शॉप, फिर तो देना पड़ेगा 25% विशेष सुविधा शुल्कद्विपक्षीय व्यापार समझौता?आमतौर पर जब 2 देशों के बीच बाइलेट्रल ट्रेड एग्रीमेंट फ्री ट्रेड को बढ़ावा देने के लिए लाया जाता है. फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का मतलब होता है कि दोनों देश आपसी सहमति से अपने-अपने उत्पादों के एक-दूसरे के साथ आयात-निर्यात पर शुल्क को या तो खत्म कर देते हैं या फिर बहुत कम कर देते हैं. बाइलेट्रल ट्रेड एग्रीमेंट के कुछ लाभ इस प्रकार हैं.फायदेकम टैरिफ और ड्यूटी: इससे व्यापारिक लागत घटती है और सामान सस्ता हो सकता है.आयात-निर्यात बढ़ता है: दोनों देशों को अधिक व्यापार के अवसर मिलते हैं.निवेश के अवसर बढ़ते हैं: व्यापार में सुधार से विदेशी निवेश को भी बढ़ावा मिलता है.आर्थिक सहयोग मजबूत होता है: इससे दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक संबंध बेहतर होते हैं.प्रतिस्पर्धा बढ़ती है: कंपनियों को नए बाजार मिलते हैं, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता सुधरती है.टैरिफ पर क्या होगा असरअगर दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर सहमति बन जाती है तो जाहिर कि दोनों ही ओर से ड्यूटी लगभग न के बराबर रह जाएगी. ऐसा भी संभव है कि कुछ उत्पादों को इससे बाहर कर दिया और उस पर ड्यूटी लगाई जाए लेकिन अधिकांश सामानों पर शुल्क खत्म हो जाएगा. इससे भारत और यूएस के बीच टैरिफ वॉर की समस्या की समाप्त हो जाएगी. भारत में यूएस से आने वाले कई सामान बहुत सस्ते हो जाएंगे. इसी तरह भारत द्वारा अमेरिका भेजे जा रहे उत्पाद और सेवाएं भी उनके लिए सस्ते हो जाएंगे. इससे भारत में निर्माताओं और सर्विस प्रोवाइडर्स के पास और काम आने की उम्मीद बढ़ जाएगी.