फरवरी में जब निफ्टी ने लगभग 6 फीसदी की गिरावट दर्ज की, तभी म्यूचुअल फंड्स ने प्राइवेट बैंकों, एनबीएफसी (NBFC), हेल्थकेयर, टेलीकॉम और मेटल जैसे क्षेत्रों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई, जबकि कैपिटल गुड्स, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर, ऑयल एंड गैस, यूटिलिटीज, पीएसयू बैंक (सरकारी बैंकों), रिटेल और इंफ्रा जैसे सेक्टरों में अपना एक्सपोजर कम कर दिया. यह जानकारी मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट में सामने आई है.मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, निजी बैंकों का वेटेज 18.5 फीसदी के साथ सबसे अधिक रहा. टेक्नोलॉजी सेक्टर का वेटेज 9.3 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर रहा, जबकि ऑटोमोबाइल और हेल्थकेयर क्रमशः 8.1 फीसदी और 7.6 फीसदी के साथ नंबर 3 और 4 पर रहे. हालांकि, कैपिटल गुड्स सेक्टर का वेटेज महीने-दर-महीने 60 बेसिस पॉइंट्स और साल-दर-साल 90 बेसिस पॉइंट्स घटकर 6.8 फीसदी रह गया. टेक्नोलॉजी स्टॉक्स में भी म्यूचुअल फंड्स का वेटेज 9.3 फीसदी तक घट गया, जो MoM 30 बेसिस पॉइंट्स और YoY 20 बेसिस पॉइंट्स की कमी दर्शाता है. ऑटोमोबाइल स्टॉक्स का वेटेज भी 19 महीने के निचले स्तर 8.1 फीसदी पर पहुंच गया.कौन-सा सेक्टर घटाया, कौन-सा बढ़ायारिपोर्ट के अनुसार, बीएसई 200 की तुलना में म्यूचुअल फंड्स की हिस्सेदारी कम वाले टॉप सेक्टरों में कंज्यूमर (17 फंड्स कम), ऑयल एंड गैस (17 फंड्स कम), निजी बैंक (16 फंड्स कम), टेक्नोलॉजी (12 फंड्स कम) और यूटिलिटीज (12 फंड्स कम) शामिल हैं. वहीं, बीएसई 200 की तुलना में म्यूचुअल फंड्स की हिस्सेदारी अधिक वाले सेक्टरों में हेल्थकेयर (16 फंड्स अधिक), कैपिटल गुड्स (11 फंड्स अधिक), केमिकल्स (10 फंड्स अधिक), कंज्यूमर ड्यूरेबल्स (10 फंड्स अधिक) और रिटेल (9 फंड्स अधिक) शामिल हैं.मिड और स्मॉल कैप में कौन-कौन से स्टॉक खरीदेफरवरी महीने में निफ्टी 50 स्टॉक्स में म्यूचुअल फंड्स ने लगभग 70 फीसदी स्टॉक्स में नेट बाइंग की. डॉ. रेड्डीज लैब्स (12 फीसदी), अपोलो हॉस्पिटल्स (11 फीसदी), अल्ट्राटेक सीमेंट (8 फीसदी) और टीसीएस (7.1 फीसदी) में सबसे अधिक खरीदारी हुई. निफ्टी मिडकैप 100 स्टॉक्स में यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, प्रेस्टीज एस्टेट्स, बंधन बैंक और एयू स्मॉल फाइनेंस में महत्वपूर्ण खरीदारी हुई. इसी तरह, निफ्टी स्मॉलकैप 100 स्टॉक्स में हैप्पीएस्ट माइंड्स, सिग्नेचर ग्लोबल, एक्शन कंस्ट्रक्शन, आईआईएफएल फाइनेंस और ग्लेनमार्क फार्मा में खरीदारी हुई.क्या होता है MFs की खरीदारी का असरजब कोई म्यूचुअल फंड हाउस किसी शेयर में निवेश करता है, तो आमतौर पर उसका असर शेयर की कीमत और बाजार की धारणा पर सकारात्मक होता है.शेयर की कीमत बढ़ती है:म्यूचुअल फंड बड़े पैमाने पर शेयर खरीदते हैं, जिससे मांग बढ़ती है और कीमत ऊपर जाती है.निवेशकों का भरोसा बढ़ता है:फंड हाउस गहरी रिसर्च के बाद निवेश करते हैं, जिससे अन्य निवेशकों को भी शेयर खरीदने का भरोसा मिलता है.वोलैटिलिटी घटती है:जब फंड लंबे समय तक निवेश बनाए रखते हैं, तो शेयर की अस्थिरता कम होती है.लिक्विडिटी बढ़ती है:शेयर में खरीदारी बढ़ने से उसे खरीदना-बेचना आसान हो जाता है.