भोपाल में दो थानों ने मिल कर की बड़ी कार्यवाही, डिमांड पर होती थी गाड़ी चोरी।भोपाल में डिमांड पर होती थी गाड़ी चोरी — ₹3000 में सुपारी लेकर गाड़ियाँ उड़ाता था गिरोह, अब सलाखों के पीछेभोपाल। राजधानी की सड़कों पर बुलेट की रफ्तार से फर्राटे भरती एक्सेस और स्प्लेंडर गाड़ियों के पीछे एक ऐसा खेल चल रहा था, जिसे सुनकर होश उड़ जाएंगे। थाना कोहेफिजा और शाहजहानाबाद पुलिस की टीम ने एक ऐसे शातिर वाहन चोर गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो डिमांड पर गाड़ी चोरी करता था। सिर्फ ₹3000 की सुपारी में गाड़ी उड़ाई जाती, फिर या तो पार्ट्स में काट दी जाती या फर्जी आरसी बनाकर बेच दी जाती थी।गिरोह का सरगना कोई आम चोर नहीं, बल्कि पढ़ा-लिखा और तकनीकी दिमाग वाला मैकेनिक निकला, जो गाड़ियों को चीर-फाड़ कर उनके अंग-अंग को अलग करता और बाजार में बेच देता। इस गैंग के तार भोपाल के हर बड़े थाने से जुड़े दिख रहे हैं — कोहेफिजा, शाहजहानाबाद, निशातपुरा, ऐशबाग, गौतम नगर, हनुमानगंज — नाम सुनते ही इलाका थर्रा जाए।गिरफ्तारी का ट्रिगर बनी एक स्कूटी की चोरी — 21 मई को संजना वर्मा नाम की महिला ने रिपोर्ट लिखवाई कि उनकी सुजुकी एक्सेस रातोंरात शिखा टावर की पार्किंग से गायब हो गई। पुलिस ने केस 303(2) BNS में दर्ज कर लिया, और तब शुरू हुआ ऑपरेशन “गियरलॉक”।ACP अनिल वाजपेयी की अगुवाई में बनी टीम ने शहर के हर गली-मुहल्ले, हर गैराज, हर पुराना शोरूम छान मारा। और फिर एक मुखबिर की टिप ने तीर का काम किया — अरशान और नवेद पहले पकड़े गए। पूछताछ में जबान खोली तो पूरा गैंग एक-एक कर सामने आता गया। नवेद वही मैकेनिक निकला, जो चुराई गई गाड़ियों को टुकड़ों में काटता था। उसके पास से गाड़ी काटने की कटर मशीन और पार्ट्स की पूरी फैक्ट्री मिली।(गिरफ्तार आरोपियों के नाम)अरशान खान (19), नवेद खान (24), साहिल खान (23), इमरान अली (22), सलमान खान (28), सज्जाद खान (37), और हैदर अली (32)सबके सब अलग-अलग इलाकों से — लेकिन काम एक जैसा, गाड़ी चुराओ, बेचो, और अगली डिमांड का इंतज़ार करो।पुलिस ने इनके पास से बरामद किए आठ दोपहिया वाहन — एक्सेस और स्प्लेंडर की कतार लगी है, जैसे माल की नीलामी हो रही हो। साथ ही चेचिस, इंजन, फुटरेस्ट, सीट कवर, टंकी और फर्जी कागजात भी मिले हैं। कुल बरामदगी की कीमत ₹7.5 लाख आँकी गई है।इस केस ने साबित कर दिया कि अपराध का चेहरा अब पुराना नहीं रहा — आज के चोर तकनीकी एक्सपर्ट हैं, RTO डेटा खंगालते हैं, फर्जी दस्तावेज़ बनाते हैं, और आंखों में धूल झोंककर शहर के बीचोंबीच गाड़ी बेच डालते हैं। भोपाल पुलिस की इस कार्रवाई ने एक ऐसे गिरोह की रीढ़ तोड़ी है, जो कानून को चकमा देकर रात-दिन गाड़ियाँ उड़ाता रहा।अब पूछताछ जारी है, और पुलिस मान रही है कि इस गैंग के तार सिर्फ भोपाल नहीं, बल्कि आसपास के जिलों और शायद दूसरे राज्यों तक फैले हो सकते हैं।